जीवन का सार बटोर चले
कुछ छूट गए कुछ साथ चले
झपकी पलकें , दिन बीत गया
कुछ आँख लगी , सूरज निकला
थे रंग बहुत .आँखों में भरे
कुछ बिखर गए कुछ साथ चले
कुछ गले मिले ,मिलने वाले
कुछ मिले बिना ही निकल चले
वादे करते , क़समें खाते
कुछ निभा गए कुछ तोड़ चले
जो शब्द रिझाते थे मुझको
कुछ याद रहे कुछ भूल चले
इन शब्दों का माया जाल कहें
कुछ हँसा गए कुछ रुला चले
ना जाने सब कैसे बीता
झपकी पलकें , दिन बीत गया
कुछ आँख लगी , सूरज निकला
जीवन का सार बटोर चले
कुछ छूट गए कुछ साथ चले
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