Lalit Kharat   (©Lalit_Kharat)
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Joined 14 June 2021


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8 HOURS AGO

छिप छिप कर उन्हें देखने का मजा ही कुछ और हुआ करता था,
आज तो हथेली में जैसे सारा जहां मौजूद है, पर वो उत्साह नहीं बचा।

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18 HOURS AGO

उसकी आंखों में डूब जाता मै,
पर वो खूबसूरत आँखें गहरी न थी।
बंध जाता किसी बंधन में मै भी उनके साथ
पर कमबख्त उनके दिल में वो बेसबरी ना थी।

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18 HOURS AGO

धज्जियां तो पल पल उड़ती है ख्वाहिशों की,
तो क्या ख्वाहिशें पालना छोड़ दे,
सांस लेने में तकलीफ तो सर्दी-खासी भी ले आती है,
तो क्या सांसे लेने छोड़ दे।

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24 OCT AT 9:41

मेरा चीखता चिल्लाता मन जब शांत हो गया
मेरा सबसे करीबी साथी तबसे एकांत हो गया।

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23 OCT AT 14:41

बरसती हुई बूंदों को समेटने चला था
नादाँ था जो ज़िंदगी को समझने चला था।

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22 OCT AT 18:54

समय की बाढ़ मे कुछ यारियां बह गई
इतने आगे निकल गए, साथ बस तन्हाइयां रह गई।

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21 OCT AT 18:02

हालातों के अंधेरे में अपनी चाहत का दिया जल गया
ये खुदा की रहमत ही तो है, के तू मुझे मिल गया।

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20 OCT AT 23:05

इधर उधर कभी, कभी गली नुक्कड़ में पड़ा रहता हूं
तेरी कमी नहीं खलने देती करके शराब में डूबा रहता हूं।

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20 OCT AT 0:24

दिया वो भी जलाया करती थी
सारे घर को प्रकाशमय कर देती थी
अपनी ऊर्जा से सबको मोह लेती थी
मेरी "मां" घर को घर बनाए रखती थी।

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19 OCT AT 14:11

नासाज-ए-तबियत अखबार हो गई, चारा-साज़ की मोहल्ले में कतार लग गई
जब एक से ऊपर एक इलाज़ बेअसर होते गए, पता चला हमे इश्क की बद्दुआ लग गई।

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