Lalit Bhawnani   (लLit🔥)
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Joined 25 May 2019


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Joined 25 May 2019
15 JUN 2021 AT 1:35

यादें वो होती है जो याद रह जाती है
अच्छी यादें, बुरी यादें।
अच्छी यादें सहेजकर रखनी चाहिए
यही जीवन की असली कमाई है।

बुरी यादों का बिना सोचे-समझे
समय रहते कत्ल कर देना चाहिए।
ये उस दीमक की तरह है
जो दिखने में तो छोटी लगती है
लेकिन अधिक समय तक टिकी रहे,
तो मजबूत से मजबूत लकड़ी को भी
खोखला करने की ताकत रखती है।

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31 MAY 2021 AT 21:12

कई सौ वर्षों बाद
जब पृथ्वी तबाह हो जाएगी,
खत्म होने लगेगा जीवन

कुछ दंपती किसी तरह चले जाएंगे
दूसरे ग्रह प्राण बचाने।
और उनकी आने वाली पीढ़ियां
उन्हें समझेंगी ईश्वरीय सन्तान।

उस ग्रह के इतिहास में दर्ज होगा उनका नाम
प्रथम जन्मे पुरुष और प्रथम जन्मी स्त्री के रूप में।

जैसे पृथ्वी पर दर्ज़ है
प्रथम जन्मे पुरुष 'मनु' और
प्रथम जन्मी स्त्री 'शतरूपा' का नाम।

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23 MAY 2021 AT 23:26

घर से याद करके निकला बात करने के सौ बहाने
आया जो रूबरू, तो सारे बहाने भूल गया मैं

बहाने तो खूब बनाए मगर,एक बहाना याद रह गया
काम तो मेरा पूरा है सर काॅपी लाने भूल गया मैं

अभी लिखने बैठा ही था उसका मिसकॉल आ गया
झूठ कहना पड़ा, वापस फोन मिलाने भूल गया मैं

सारे इल्ज़ाम किस्मत पर लगाए फिर मेहनत की गयी
उस दिन से किस्मत पर इल्ज़ाम लगाने भूल गया मैं

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9 MAY 2021 AT 21:37

मैं सोचता हूँ
अगर जा सका वक़्त से पीछे
मैं मेरे बचपन में नहीं जाउंगा,
मैं माँ के बचपन में जाऊंगा,
उनके बचपन की
तस्वीरें खींचकर लाऊंगा।

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7 MAY 2021 AT 13:06

मुझे पता है वो हमारे लिए नहीं ला सकेंगी
ऑक्सीजन सिलेंडर, ऑक्सोमीटर,
जिंक, कैल्शियम और
विटामिन बी, सी की गोलियाँ।
मगर,
कविताएँ थपथपाएंगी हमारी पीठ,
बढ़ाएंगी हौंसला,
देंगी हिम्मत संक्रमण से लड़ने के लिए।

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25 APR 2021 AT 15:11

चाहे हाथ टूटे, पैर टूटे, पर हौंसला कभी ना टूटे
छोड़ जाए सब मगर, खुद से खुद का साथ ना छूटे,
तुम उनसे हज़ारों दफ़ा रूठ जाओ कोई बात नहीं
मग़र याद रखना यारों माँ-बाप और गुरू तुमसे कभी ना रूठे।

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31 DEC 2020 AT 22:37

'कैलेंडर'

कैलेंडर में होती है तारीखें
और तारीखों की महत्वपूर्ण भूमिका है इंसानी जीवन में।

मगर ये तारीखें सभी के लिए एक समान नहीं होती।
किसी के लिए कोई तारीख सुखद है,
तो किसी के लिए वही बेहद दुखद।
सुखद हो चाहे दुखद
सभी को जीनी पड़ती है सभी तारीखें।

हम ऐसा नहीं कह सकते कि मुझे
नहीं जीना आज की तारीख को
मैं तो सीधा जाना चाहता हूं कल की तारीख में।

और कुछ तारीख होती है अविस्मरणीय। जैसे? जैसे... आपको आज तक याद है 'उसके' जन्मदिन का महीना और तारीख।

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25 DEC 2020 AT 0:55

Sarita

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23 DEC 2020 AT 12:41

कुछ दिन प्यार मोहब्बत की बातें, फिर बिछड़न,
क्या यही प्रेम का नियम है
विरह वेदना सही न जाए मुझसे,
जाने यह कैसा आलम है।

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6 DEC 2020 AT 10:56

वादा किया है ख़ुद से, मैं हारुंगा नहीं
हार से सीखूंगा मगर, मैं हारूंगा नहीं

कीमत जो अदा करनी पड़े करूंगा
सपने पूरे करूंगा सपने मारूंगा नहीं

दौड़कर आगे बढूं या मैं बढूं रेंगकर
आगे बढ़ा तो मुड़कर निहारूंगा नहीं

आग सीने में लगी है जल रही है रूह
आग लगी रहने दूँगा बुझाऊंगा नहीं

सुन यार मौका है कर दे आर या पार
ये वक़्त कह रहा मैं फिर आऊंगा नहीं

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