lalchand maanav   (लालचंद 'मानव')
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वरिष्ठ अध्यापक हिंदी पद पर कार्यरत ,कविता करने का शौक है ।
Joined 22 April 2017


वरिष्ठ अध्यापक हिंदी पद पर कार्यरत ,कविता करने का शौक है ।
Joined 22 April 2017
15 MAY AT 10:12

ज़िंदगी की जंग में ,जीत मिले या हार।
इतनी सी है कामना ,साथ रहे परिवार।

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16 AUG 2024 AT 20:32


हमदर्दी
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मत जलाओ मेरे लिए
मोमबत्तियाँ
मत लिखो तख्तियों पर
जस्टिस फाॅर निर्भया
के मार्मिक स्लोगन
मत चीखो सड़कों पर
और मत दो धरने
संसद के आगे
किससे माँग रहे हो तुम
मेरी खातिर न्याय ?
अगर सच्ची है हमदर्दी
तो यूँ करो-
जला डालो उन हैवानों को
तुम्हारी उन मोमबत्तियों से
बना दो चिता उन तख्तियों की
जिनसे तुम
न्याय दिलाने चले थे मुझे।
अगर सच्ची है हमदर्दी तो
यूँ करो।
बोलो कर सकोगे ऐसा?

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9 FEB 2024 AT 20:59

प्रीत
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म्हारी प्रीत
नीं जाणै
नुवैं जमारै रा चोचला
म्है नीं भेजूंला थानै
गुलाब रो पुहुप
ना ईं गोडा टेक'र
करूंला बखाण
म्हारी प्रीत रो
ना ईं खुवा'र चोकलेट
थानैं करूंला राजी
म्है नीं करूंला
ऐड़ा चोचला
जिका म्हारी प्रीत नैं
करद्यै ओछी करार।
नुवैं जमारै रा लोग
नीं समझ सकैला
म्हारी आ बातां नैं
आं लोगां कर्यो है प्यार
अर म्है पाळी है प्रीत।

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8 FEB 2024 AT 19:03

प्रीत री रीत
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थारो रोज डे
म्हारै हिवड़ै मांय
उपज्योड़ी प्रीत नैं
नीं समझ सकैलो
म्हारी प्रीत री रीत
म्हासूं केवै
प्रीत रो मतलब
तोड़णों नीं जोड़णों हुवै
फेर थूं ई बता
म्हैं कींकर तोड़'र
डाळी सूं गुलाब
जोड़ सकूं थां सूं प्रीत।

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16 SEP 2023 AT 12:45

लहज़े
बयां करते हैं,


तासीर
अपनेपन की।

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7 FEB 2023 AT 19:36

रोज़ डे
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तुम्हारा रोज़ डे
मेरे हृदय में
उपजी प्रीत को
नहीं समझ सकेगा
मेरी प्रीत की रीत
कहती है मुझसे
कि प्रीत का मतलब
तोड़ना नहीं जोड़ना होता है।
फ़िर तुम ही बताओ
मैं तोड़कर डाली से गुलाब
कैसे जोड़ सकता हूं
तुमसे प्रीत।

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7 FEB 2023 AT 12:49

पहले दिन तो रोज डे, अगले दिन परपोज।
चंद दिनों के प्रेम की, किसने कर दी खोज।।

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2 AUG 2022 AT 22:11

अपना फ़र्ज़ निभाते रहिए।
सांपों को दूध पिलाते रहिए।

दिल मिलना गर मुश्किल है
फिर भी हाथ मिलाते रहिए।

उनका काम बुझाना है,
दीपक आप जलाते रहिए।

इश्क़ मिजाज़ी दौर है ये
अपना मन बहलाते रहिए।

लोग नहीं समझेंगे मानव
खुद को ही समझाते रहिए।

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22 NOV 2021 AT 20:33

चाँद
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चाँद भी
कुछ यूँ दिखाई
देता है जैसे
जल गई हो
रोटी
किसी प्रेयसी की
प्रेमी को
याद करते हुए।

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30 JUL 2021 AT 21:14

आवश्यकता
से अधिक ख़ामोशी

तूफ़ान को
जन्म देती है।

Aavshyakta
Se Adhik Khamoshi

Toofan Ko
Janm Deti Hai.

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