तुम थी तो क्या कुछ नहीं था
अब तुम नहीं तो कुछ नहीं।
ये चाँद ये तारे नदियाँ आसमाँ
सब वही बस तुम नहीं हम नहीं।
ख़्वाब सपने उम्मीदें जो कुछ दीया सब यहीं
ग़म है तो सिर्फ़ यहीं के अब यहाँ तुम नहीं।
फ़िरता हूँ दर-बदर एक तुम्हारी तलाश में
मिली ज़िल्लत मुझे पर मिली नहीं तुम कहीं।
हो कबूल दुआ मेरी मिल जाए वो बस कहीं
या पढ़ दे फ़ातिहा मेरा कोई यहीं बस यहीं।
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❣दिल❣से✒कलम✒तक का मुसाफिर🙏
धर्म👉👉 इमान😏
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अब तो ख्यालों में आना छोड दे,
अब क्या ख़ाक तू मैं एक साथ है।
तेरे साथ ही शुरू हुई थी बर्बादी मेरी,
उस अर्से से अब तलक हम बर्बाद है।-
कोई तरसता रह गया तेरे एक दीदार के लिए
किसी की ज़बां को तुने जिस्म के हर तिल दिखा दिए।
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तुम मुझे छोड़ कर चली जाती तो भी जी लेता, तुम्हारा मरना बहुत ज़रूरी था क्या।
कैसे जीता हूँ मै मर के भी ये ज़िंदगी,तुम्हारा मुझे यूँ रोज़ मौत के लिए तड़पाना ज़रूरी था क्या।-
उसके बाद दिल को दिल ही रखा है, कभी व्यापार होने नहीं दिया।
खूब संभाल है तूने लाला, खुदको फिर कभी बाज़ार होने नहीं दिया।
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तेरे प्रेम मे मैं कितना ज़्यादा नकारा हुआ हूँ,
जैसे बनारस का कोई बदनाम किनारा हुआ हूँ।-
किसी के हम दीवाने हुए ,
तो किसी से हमको दीवानगी हुई ।
ना मीरा के हम हो सकें,
और नाहिं कभी राधा हमारी हुई ।
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कितनी खुशनसीब हो के ,
तुम्हारे पास तुम भी हो मैं भी हुँ।
कितना बदनसीब हुँ मैं के ,
मेरे पास ना तुम हो ना मैं हीं हूँ।
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अब अगर तेरे मुताबिक हो गया हूँ तो बता देना
और अगर अभी भी कमी है तो मुझे जिंदा ही जला देना
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कइयों का आना जाना लगा रहा जिंदगी में
मगर सबके बिछड़ने के बाद जितना भी मुझे
दर्द नुकसान हुआ वो भी सिर्फ तेरे जाने का हुआ
सालों हो गए मुझे तुझसे बिछड़ के मगर ये बात
हर बारी आज शाम की ही लगती हैं मुझे , बैर-हाल
मैं ठीक हुँ ,हंसता हूँ , खूब हंसता हूँ , सिर्फ़ हंसता हूँ।
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