आईने के सामने जो टूट के ले ली थी आपने अँगड़ाई मेरे अक्स में भी दिखने लगी है, हजूर आप ही की परछाई ! -
आईने के सामने जो टूट के ले ली थी आपने अँगड़ाई मेरे अक्स में भी दिखने लगी है, हजूर आप ही की परछाई !
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तुम्हारी किताब का चौबीसवां पन्ना, पलटा ना गया रात भरकभी इसी पन्ने पर छिपा के, एक गुलाब भेजा था तुमने ! -
तुम्हारी किताब का चौबीसवां पन्ना, पलटा ना गया रात भरकभी इसी पन्ने पर छिपा के, एक गुलाब भेजा था तुमने !
तुम्हारी आंखों में चाँद सा नूर और मेरी में चाँद के धब्बे हमारी नज़रें मिलने पे लाज़मी ठहरा, मुकम्मल होना चाँद का ! -
तुम्हारी आंखों में चाँद सा नूर और मेरी में चाँद के धब्बे हमारी नज़रें मिलने पे लाज़मी ठहरा, मुकम्मल होना चाँद का !
मुझ से ना पुछ ऐ साकी जिन्दगी का कोई हिसाबमैं तो खत्म होने लगा हूँ, खत्म होते होते ये शराब ! -
मुझ से ना पुछ ऐ साकी जिन्दगी का कोई हिसाबमैं तो खत्म होने लगा हूँ, खत्म होते होते ये शराब !
बाद हादसे इश्क़ के मैं जरा सा ही तो बचा हूँ मुझे उतना तो होने दे खुदा, जितना लिखा हुआ हूँ ! -
बाद हादसे इश्क़ के मैं जरा सा ही तो बचा हूँ मुझे उतना तो होने दे खुदा, जितना लिखा हुआ हूँ !
मैंने लिखी नहीं कभी भी, कोई नज़्म याद में तुम्हारेलिख लेने के बाद हर बार, मगर तुम याद बड़े आये ! -
मैंने लिखी नहीं कभी भी, कोई नज़्म याद में तुम्हारेलिख लेने के बाद हर बार, मगर तुम याद बड़े आये !
जो बात फ़कत आपके होंठों पे थीदिल में भी होती, तो बात होती ! -
जो बात फ़कत आपके होंठों पे थीदिल में भी होती, तो बात होती !
जिस हथेली पे लिये फिरती थी वो जाँ मेरी शहर भर मेंअपने निकाह में भी उस हथेली पे उसने मेहंदी ना लगने दी ! -
जिस हथेली पे लिये फिरती थी वो जाँ मेरी शहर भर मेंअपने निकाह में भी उस हथेली पे उसने मेहंदी ना लगने दी !
दीवारें घेरेंगी हर सू तो सर पटकने को जी चाहेगा मुझे कोई घर दिलवा दो बिना दर-ओ-दीवार का ! -
दीवारें घेरेंगी हर सू तो सर पटकने को जी चाहेगा मुझे कोई घर दिलवा दो बिना दर-ओ-दीवार का !
मेरे अंदर से जो निकलता है इक आदमी घर से दफ्तर कोलाख मिन्नतों के बाद भी मुझे साथ कभी नहीं ले जाता ! -
मेरे अंदर से जो निकलता है इक आदमी घर से दफ्तर कोलाख मिन्नतों के बाद भी मुझे साथ कभी नहीं ले जाता !