खुद से ज्यादा चाहा तुझको , तूने साथ छोड़ दिया खुद से ज्यादा चाहा तुझको , तूने साथ छोड़ दिया अरे तुम तो गैर थे , क्या हुआ अब तो आँखों में लालिमा है , कम्बख्त अपने आंसुओं ने भी साथ छोड़ दिया
ता उम्र हम सफर को याद कर ,आँसू बहाते रहे रात में , उस जाने वफ़ा का नाम गुनगुनाते रहे जब पूछ लिया हम से किसी ने कि मुहब्बत क्या हैं तो दर्द को दवा कर,आँखें चुरा कर,मुस्कराते रहे