एक टुकड़ा मोहब्बत..
जो ढक पाती ये पूरा तन वो चादर मिलना मुश्किल था..
सो ख़ुद पर डाल कर जमीर की मिट्टी, जमीं के अंदर सो गए हम।
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मै खुद ही अपनी तलाश मे हूं..!!™
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मुश्किलों की हद जहां तक
वहां तक उत्साह मेरा
हो समर्पण हार का
है वहां तक वार मेरा।।-
ख़्वाब से हकीक़त तक साथ चले वाला हो,
कोई एक तो ऐसे हो जो तुम्हे समझने वाले हो..
इस मतलबी दुनिया में साथ निभाने वाले हो,
कोई एक तो ऐसा हों जो हाथ थामने वाला हो..
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कुछ लोग मिठाई के तरह होते है,
जो मीठे तो होते है पर नुकसान करते है..
और कुछ करेले के तरह होते है,
जो कड़वे होते है पर लाभदायक होते है..
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यू तो,
उसके तरकश में मोहब्बत के लिए शब्द हजार थे,
पर तरकश से उसके वफ़ा के लिए दगा निकला..💔
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Waqt se bhi puchogi toh Waqt bhi tumhe bewafaa kahega,
Kyuki Waqt ne bhi tumhe har Waqt bhut karib se dekha hain...❤️
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ना धर्म से आका जा सकता है,
ना ही परिभाषा जा सकता है..
कुछ व्यक्ति एैसे होते है,
जिन्हें बस स्नेह से सराहा जा सकता है..
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गाँव की मिट्टी
गाँव की मिट्टी याद दिलाती, क्या खोया क्या पाया हमने,
तल से नभ तक तब से अब तक, कितना पार लगाया हमने।
जीवन की कड़वी घुट या विलासित जीवन की वो बेलाए,
हार गये या जीत चुके है, जीवन की ये कठिन परीक्षाएं।
गाँव की मिट्टी याद दिलाती, क्या खोया क्या पाया हमने,
तल से नभ तक, तब से अब तक कितना पार लगाया हमने।
स्मरण होती बचपन की वो सुन्दर प्रफुल्लित बाल क्रियाएं,
या मात, पिता व पूर्वजों की वो अनमोल स्मृति रचनाएं।
गाँव की मिट्टी याद दिलाती, क्या खोया क्या पाया हमने,
तल से नभ तक, तब से अब तक कितना पार लगाया हमने।
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