Ladki Beautiful   (काल्पनिकता ही आधार है)
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✒आज लिखना सीख रही हूँ निपुण होने में अभी समय लगेगा ☁☁☁🌟☁☁☁
☁☁☁☁☁☁
Joined 26 April 2020


✒आज लिखना सीख रही हूँ निपुण होने में अभी समय लगेगा ☁☁☁🌟☁☁☁
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Joined 26 April 2020
16 JUN 2022 AT 10:29

दिल की दीवारों को कलम से भेदने चली हूँ ।।
प्रेम की राह में अँगारे बिछे हैं, मैं भी पाँव सेकने निकली हूँ ।।

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11 MAY 2022 AT 21:22

तेरी कमी को तो कागज पर भी उकेर नहीं सकती
सीने में दर्द काफी है फिर भी कराह नहीं सकती
तेरी याद की मायूसी कुछ इस कदर है
चाय कप में ही ठंडी हो जाती है,
अब प्याली की जरूरत नहीं पड़ती
न मैंने कभी कहा और न ही तुमने सुनना चाहा
पर यारा तेरे बिना दिन वीरान और रात भी तबाह लगती
तेरे बिना ये कोयल भी अब कर्कश लगती
आसमाँ में उड़ती पतंग भी अकेली है, इन दिनों माँझे से उसकी दोस्ती नहीं दिखती


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27 APR 2022 AT 22:13

कुछ नया लिखूँ या फिर
मसलकर पुराने ज्जबातों की स्याही पन्ने पर फैला दूँ

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27 APR 2022 AT 21:42

दिमाग में चल रहा घमाशान है
शस्त्र उठाना नहीं चाहती और सामने युद्ध का मैदान है
सदैव प्रेम की साधक रही
पर प्रेम ने ही किया अपमान है
थक गई मोती समेटते- समेटते,
पर बिखरी हुई चीज कब जुड़ती है भला
सच्चाई जानता ये दुनिया जहान है
परे थी मैं इन रिश्ते नातों से
फर्क न पड़ता था किसी की भी मुलाकातों से
उलझती न थी कभी प्रेम भरी बातों में
उस निर्भीक, मनमौजी लड़की को फिर से वापस लाना है
अब खुद में ढूंढकर खुद को पाना है ।।

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12 APR 2022 AT 23:42

शाम का साथी समझा था मैंने जिसे,
सुबह होते ही तितलियों की तरह फूलों पर मंडराने निकल गया ।।

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31 MAR 2022 AT 14:01

हम जिन चीजों को दोहराते नहीं हैं
उन्हें अक्सर भूल जाया करते हैं
चाहे वो कोई व्यक्ति विशेष ही क्यूँ न हो ।।

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19 MAR 2022 AT 10:36

आसान तो नहीं है तुझसे दूर जाना
कितना मुश्किल होता है खुद से खुद की ही जान लेना

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15 MAR 2022 AT 1:18

धोखा खाकर कई बार, अब मैं बड़ी हो चुकी हूँ
तोड़ा था तूने जिन पैरों को,
सुन आज मैं उन्हीं पर खड़ी हो चुकी हूँ
चैन छीना, सुकूँ छीना
मेरा अपमान भी तूने कई बारकिया
बगावत करके मैंने खुद से ही,
माफ तुझे हर बार किया
सुनो अब ये भूल मैं दोहराऊँगी नहीं
तू रोने का छलावा करेगा, फिर भी मैं तेरे पास वापस आऊँगी नहीं।।

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14 MAR 2022 AT 20:42

अब अकेली मैं चल न पाऊँ, इतनी तो नासमझ भी नहीं
तेरे बिन रह न पाऊँ, चलो हटो इतनी भी तो पागल नहीं
हाय तू गया तो मैं जीना छोड़ दूँ, इतनी भी तो जिद्दी नहीं
हर जज्बात को शब्दों में बयाँ कर दूँ,
इतनी भी तो मैं अच्छी नहीं
और मौन को आप समझ न सके,इतने भी आप बच्चे नहीं
मौन अधरों के पीछे, शब्दों के बाण छुपा रखे हैं
अब उसकी गड़गड़ाहट भी न सुन सके, शायद इतने भी कान के कच्चे नहीं

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13 MAR 2022 AT 10:31

चाय का नाम मैं सुकूँ रख दूँ
या फिर सुकूँ को चाय कहकर ही बुला लूँ

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