L.k Singh   (L. K.. (अनन्तानन्द ))
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Retired professor &social worker...
Joined 14 June 2020


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11 NOV 2022 AT 20:18

राजनीति काजल की कोठरी,
बचता नहीं अछूता कोई!
चाहे सफाई जितनी दे लौ,
काला दाग से बचे ना कोई।।

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7 NOV 2022 AT 21:08

क्यों गुरूर मन में रखते हो,
सबका मालिक एक है !
आना -जाना, जाना -आना,
यही दुनिया की टेक है।।

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5 NOV 2022 AT 20:34

जब ऊपर वाला देता तो,
बेहिसाब देता है
फिर क्यों तू गिन -गिन के,
नाम लेता है।।

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2 NOV 2022 AT 19:57

जिन तत्वों से निर्मित शरीर है,
वे सब अपार हैं देन ख़ुदा की !
नीच सोच रखने वाले,
इंसानों से झपट रहे।।

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1 NOV 2022 AT 17:14

जो नहीँ भरोसेमंद किसी का
उसकी नैया जीवन -सागर में
डगमग -डगमग करती रहती
मन में सदा नाना प्रकार की शंकाएँ बनतीं रहतीं।।

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30 OCT 2022 AT 17:22

कर्मठता की तेज से,
जो ख़ुद को सुसज्जित करता !
उसके जीवन का प्रकाश,
कभी न फीका पड़ता।।

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28 OCT 2022 AT 19:18

नदियों के उदगम -सा,
है बचपन सबके जीवन का !
चंचलता उसकी खासियत,
और बुढ़ापा डेल्टा रूप नदी का।।

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27 OCT 2022 AT 9:49

हम दीपक बन जल रहे,
प्रभु बाती बन तन में हैं
उनकी रहमत ही तेल बनी
सदा वंदना मन में है।।

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23 OCT 2022 AT 12:00

जीवन -धारा है बहती जा रही,
अगणित घाटों से हो कर !
और अंत में जा मिलती है,
परम धाम सागर से।।

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19 OCT 2022 AT 16:35

दया -भावना के बिना,
दानव से मनुज है कम नहीं !
मासूमों की बगिया उजाड़,
अपने को बताते हैं सही।।

ऐसे दम्भी नेताओं का,
है खेल चल रहा देशों !
ख़ुद को सबसे बड़ा दिखाना,
छिपा है उनकी मंशाओं में।।

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