राजनीति काजल की कोठरी,
बचता नहीं अछूता कोई!
चाहे सफाई जितनी दे लौ,
काला दाग से बचे ना कोई।।-
क्यों गुरूर मन में रखते हो,
सबका मालिक एक है !
आना -जाना, जाना -आना,
यही दुनिया की टेक है।।-
जब ऊपर वाला देता तो,
बेहिसाब देता है
फिर क्यों तू गिन -गिन के,
नाम लेता है।।-
जिन तत्वों से निर्मित शरीर है,
वे सब अपार हैं देन ख़ुदा की !
नीच सोच रखने वाले,
इंसानों से झपट रहे।।-
जो नहीँ भरोसेमंद किसी का
उसकी नैया जीवन -सागर में
डगमग -डगमग करती रहती
मन में सदा नाना प्रकार की शंकाएँ बनतीं रहतीं।।-
कर्मठता की तेज से,
जो ख़ुद को सुसज्जित करता !
उसके जीवन का प्रकाश,
कभी न फीका पड़ता।।
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नदियों के उदगम -सा,
है बचपन सबके जीवन का !
चंचलता उसकी खासियत,
और बुढ़ापा डेल्टा रूप नदी का।।-
हम दीपक बन जल रहे,
प्रभु बाती बन तन में हैं
उनकी रहमत ही तेल बनी
सदा वंदना मन में है।।-
जीवन -धारा है बहती जा रही,
अगणित घाटों से हो कर !
और अंत में जा मिलती है,
परम धाम सागर से।।-
दया -भावना के बिना,
दानव से मनुज है कम नहीं !
मासूमों की बगिया उजाड़,
अपने को बताते हैं सही।।
ऐसे दम्भी नेताओं का,
है खेल चल रहा देशों !
ख़ुद को सबसे बड़ा दिखाना,
छिपा है उनकी मंशाओं में।।-