L.Harprasad Bhagwati   (लोकेश्वर हरप्रसाद भगवती)
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Joined 11 May 2020


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Joined 11 May 2020
25 NOV 2022 AT 22:38

मिल लेतेंव तोर सन अइसने कभू ,
तैं आ तो सही कभु अपन सउक में
चाय नहीं तोला चहा पियातेंव,
रद्दा के तीर गांधी चउक में।

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28 OCT 2022 AT 0:47

तीक्ष्ण-तीक्ष्ण मसृण कटि, गजगामिनी चाल।
पीयूषकेसरी वर्णित काया, ओष्ठ सिंदूरी लाल।।
मधुपूरित वाणी शब्दों की, कुंतल कृष्ण विशाल।
देख लोक ये चकित हुआ, ये सत्य या मायाजाल।।

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5 SEP 2022 AT 23:24

बाहर पत्ती सी भले कड़क हो,
भीतर चीनी सा मीठापन।
दूध जैसा शिष्य मिले जब,
चाय से होंगे शिक्षकगण।

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5 SEP 2022 AT 16:47

मतिभ्रष्ट को स्वशस्त्र से जो सुमार्ग पर लाए,
छाया उसकी जो पड़े सो सिद्धि को पाए।
हित-अहित नीति न्याय को जड़ मति जे पहुंचाए,
बहिबज्र भीतर से कोमल, ते शिक्षक कहलाए।

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16 AUG 2022 AT 22:42

यूँ न रैन बीत जाए यूँ ही,
यूँ न नैन बरस जाए यूँ ही;
एक चाय सी मीठी मुस्कान है उसकी,
यूँ न मुझसे दूर हो जाए यूँ ही।

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23 JUL 2022 AT 23:46

च से चहा कस चहक जाबे तैं,
म से मउहा कस महक जाबे तैं।
अ से अन्तस म मोला बसाले,
स से सिंगार कस संवर जाबे तैं।

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21 JUL 2022 AT 23:06

तोर ये रेंगाई, तोर ये झूलूफ बगराई,
चहा के सेवाद ले कम नई हे।— % &— % &

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11 JUL 2022 AT 21:01

पथरा कस हिरदै ह मोर जीरो गिट्टी हो जाथे,
घूर जाथौं मैं ह जी जब कोनो चहा बर बुलाथे।

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5 JUL 2022 AT 0:23

सुनें हौं, कालेज तीर म टपरी हे तोर,
चहा पिए बर आओं का ।
मोर आंखी ल देख के लजा जाथस,
नवा चसमा बिसाय हौ, लगांव का।

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1 JUL 2022 AT 13:17

चाय-चाय सी चमक है तुम में,
चाय-चाय सी चहक है तुम में,
चाय-चाय सा चीनीपन ऐसा,
चंचल-चित सा अपनापन तुम में।

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