तेरा चेहरा, सपना, चिंता, किस्सा आम न हो जाए।
बरसों बचा कर रखा दिल, ये सरेआम न हो जाए।।
तेरी बातें, हँसी-ठिठोली, तुम से ही मिलना भाया।
ये अनजाना सा रिश्ता, यूँ ही बदनाम न हो जाए।।
तेरी खुशबू, तेरी आहट, यादों की गठरी में बदली।
इन आँखों में तेरा सपना, कहीं नाकाम न हो जाए।।
तेरी सूरत, तेरी नजरें, तेरी धड़कन, तेरी मुस्कान।
अब आकर तो भोर हुई, फिर से शाम न हो जाए।।
ये छोटा सा सफ़र सुहाना, ख़ामोशी भी तन्हाई भी।
‘क्योंकि’ जो तुमसे कह दूँ, इक इल्जाम न हो जाए।।-
होते - होते उनका दीदार रह गया।
इजहार रह गया इकरार रह गया।।
तरसा है मन - मेरा करार के लिए।
फिर से मन मेरा बेकरार रह गया।।
चंद घड़ियाँ मिली तुमसे मिलने को।
और फिर तुम्हारा इंतजार रह गया।।
है तेरी एक हद और एक है मेरी भी।
राज लबों तक आते हरबार रह गया।।
गुरुर था नशा कोई चढ़ नहीं पाया।
'क्योंकि' एक तेरा खुमार रह गया।।-
एक छोटा सा दरिया मैं, कोई समन्दर थोड़ी हूँ।
धीमी - धीमी हवा हूँ मैं, कोई बवन्डर थोड़ी हूँ।।
सागर में गहरे एक मोती, ये दुनिया दीवानी है।
'क्योंकि' मैं सबसे पीछे, कोई सिकंदर थोड़ी हूँ।।-
पर्दा है दरमियाँ उसको जरा हटा दो।
छुपाओ नहीं कुछ सच मुझे बता दो।।
तूने खामोशी में कोई राज छुपाया है।
दिल का कभी - कभी हाल बता दो।।
कभी जो लगे तुम्हें, भटक रहा हूँ मैं।
रास्ता हो जो ठीक, तुम मुझे बता दो।।
बता किसके हिस्से में, यहाँ गम नहीं।
चल मैं तुझे हँसाऊँ, तुम मुझे हँसा दो।।
'क्योंकि' तेरे दिल में ख्वाब सजायेंगे।
जब भी हो नजरें चार जरा मुस्कुरा दो।।-
'क्योंकि' वक़्त से कदम मिलाओ, क्यों रुके हुए हो तुम।
दुनिया बदल रही तेजी से, बस चुटकी भर बदलो तुम।।-
झुकी पलकों में सपने भरना,
आँधी तूफान से मत डरना,
मन-मंदिर के आँगन में, हौले - हौले बस जाना..
जब थक जाओ तब आना........
मिलना है उन ही राहों में,
रख लेना मुझे निगाहों में,
तुम्हें पुकारूँगा धीरे से, आवाज़ को सुनते आना..
जब थक जाओ तब आना........
कितना लम्बा अभी सफ़र है,
कंकड़ भी है और पत्थर है,
माना है रस्ता टेढ़ा पर, तुम खुद को भी समझाना..
जब थक जाओ तब आना........
मन कह दे, थामना हाथ मेरे,
इस डगर में चलना साथ मेरे,
'क्योंकि' शाम ढले जैसे ही, तुम भी दीप जलाना..
जब थक जाओ तब आना........-
जब आओगी सामने मेरे, जाने कैसे दिल धड़केगा।
रब ही जाने क्या बीतेगी, जाने कैसे दिल धड़केगा।।
एक तकिया, करवट, बेचैनी, सपनों का ताना-बाना।
साँसे अभी से अटक रहीं, जाने कैसे दिल धड़केगा।।
कब से मन मेरा तरसा है, एक झलक फिर पाने को।
पसंदीदा जब मिले सामने, जाने कैसे दिल धड़केगा।।
पलकों के नीचे कुछ सपने, लफ़्ज़ों में ढल न पाएंगे।
कल जब ये संसार थमेगा, जाने कैसे दिल धड़केगा।।
मन-तरंग अंबर को छुएगी, बिखरेंगे रंग और ख़ुशबू।
'क्योंकि' तुमसे नज़र मिलेगी, जाने कैसे दिल धड़केगा।।-
कल फिर दुनियादारी देखी।
इक तेरी सूरत प्यारी देखी।।
हर साँचे में कस जाती है।
इस जग से तू न्यारी देखी।।
नहीं कोई फूल अधखिला।
तुझ में वो फुलवारी देखी।।
फिर तुमने महकाई बगिया।
तेरी यादों की क्यारी देखी।।
एक सलीका एक मुस्कान।
तेरी आँखों में खुद्दारी देखी।।
'क्योंकि' तुझ पर ही मैं ठहरा।
मन-मूरत वाली नारी देखी।।-
क्या दीपक जल सकता है प्रीति-नदी के इस तट पर,
'क्योंकि' रीझना है मुझको तेरी बस एक उसी लट पर।-