कविता,दोहा,शायर 𝘽𝘼𝘽𝘼   (अंकित मिश्रा (बनारसिया))
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Joined 8 December 2021


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Joined 8 December 2021

तुझे मेरी हर एक चीज से होती है दिक्कत
अरे मोहतरमा
किस कदर बताऊ तुझे किस दौर गुजरा हु मैं ।

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चिंता,दर्द,कष्ठ,पीड़ा,तड़प इस जीवन मे मुझसा बेहतर कौन
बताए !

आ मेरे दिल को छूके देख मेरी हालत, दूर से अब और कितना जताए !

आ गयी है समझ गर सच्चा प्यार कर लिया किसी को तो सच्चा प्यार फिर बड़ा सताए !!

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एक से मन भरे नही, दर दर ह्रदय लगा अब खोने !
कलियुग आ गया है मानव, तू लगा है अब सोने !!
जब कर्म की होगी जब जाँच तेरी, तब तू लगेगा रोने !
कलियुग आ गया है मानव, तू लगा है अब सोने !!
नरक का द्वार खुलेगा जब, जगह न मिलेगा किसी कोने !
कलियुग आ गया है मानव तू लगा है अब सोने !!

---- अंकित मिश्रा




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सभी मनुष्यों को अपना जीवन जीने का पूर्ण अधिकार है हर मनुष्य खुश रहे स्वस्थ रहें अपनी इच्छा से अपना जीवन जिये जो मनुष्य जिसमे खुश रहना चाहे उसको खुश रहने देना चाहिए सबको सबके कर्मो का फल अवश्य मिलता है❤️

---- श्री कृष्ण

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❤️
तेरे इश्क़ में मौत आ जाए तो भी मरनी है

सारा जहां एक तरफ हम दोनों को अकेले ही लड़नी है

और कौन कहता है इश्क मुकम्मल नही होता

अभी तो सारी दुनिया से बगावत करनी है

Ankit d mishra

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जल रही है दिल, धड़कन भी अब धधक रही ।
ना जाने क्या हो गया, अब चाह भी भड़क रही
तू मिलेगी एक दिन, इस आस में तड़प रही ।।
जल रही है दिल, धड़कन भी अब धधक रही ।
राह देखु हरदम तेरी , मेरी आँखे भी फड़क रही
चल बढ़ा कदम तू अपने, ये दिल तेरी सड़क रही ।।




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वो मेरे घाव पे मिर्च लगाता गया
मैं मरहम लगा के छुपाता गया
आँखे बंद करके रखी थी मैंने
वो पीठ पीछे खंजर चलाता गया

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बेवजहा बदनाम कर दिया गया, ना जाने मुझे क्या क्या नाम दिया गया है
इस काली दुनिया मे सफेद स्याही से नाम लिखाकर जाएंगे
ऐ खुदा ये जिंदगी रही तो बदनाम से बद हटा के आयेंगे

--अंकित मिश्रा

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बुरा कर्म करने वाला आखिर बुरा कर्म क्यों करता है पूछकर देखो उससे जरा सा
पता चल जाएगा क्यू निर्दयी, निर्मम,पापी वो, और क्यूँ दिल है उसका मरा सा

( कोई भी प्राणी बुरा पैदा नही होता है ,उसके जीवन मे कुछ न कुछ ऐसी घटनाएं होती है जिससे वो ना चाहते हुए भी बुरा हो जाता है ,अर्थात किसी भी मनुष्य को ऐसी विवशता पर कभी ना लाये क्यूंकि भगवान उसको माफ अवश्य करेगा परंतु उसको कभी नही जिसने किसी भी मनुष्य को विवश किया हो बुरा बनने के लिए!

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मेरे अनोखे प्रेम की जब जब याद करू मैं कहानी
वक्त हो चाहे कोई भी भर जाता है आँखों मे पानी
याद आती है पल पल उसकी बोली गयी हर वाणी
सर पे बिठाके रखता था मेरी प्यारी सी सुंदर रानी
कहाँ चली गयी मेरी जीवन की ओ दिलबर जानी


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