कविराज NLखराडी👑  
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Joined 5 June 2020


Joined 5 June 2020

कितना जोर जोर से ईश्वर को याद करते हो
कितना जोर जोर से ईश्वर को याद करते हो।
अगर ईश्वर ने थोड़ा सा भी याद कर लिया तो
ये शायरी आखिरी बन जाएगी।।

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छात्र छात्राओं को इस तरह पढाया जाए जिससे उनके मन में व्याप्त परीक्षा संबंधित डर दुर हो सके तथा विद्यार्थी परीक्षा का एक उत्सव के रुप में स्वागत करें

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पांच महीने परीक्षा की तैयारी से ज्यादा महत्वपूर्ण है परीक्षा कक्ष में पुर्ण मानसिक संतुलन और आत्मविश्वास को बरकरार रखते हुए प्रश्न पत्र हल करना। परीक्षा कक्ष में 2.30 घंटे आपकी वास्तविक जंग होती हैं जो इसमें अपना संतुलन कायम रख पाता है वहीं सिकंदर बन जाता हैं। आपका मनोबल ही आपको असंभव कार्य करने की शक्ति देता है।

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कहानी क्या बताउ मैं कुंवारों की।
सभी भर्तियां कोरोना में अटकी।।
अब इम्तिहान का इंतजार करते थक गए।
माथे के बाल भी आधे सफेद पड़ गए।।
ऐ सरकारी नौकरी कब तु मेरी जिंदगी में आएगी।
तेरी राह में कुंवारे ही बुढे हो गए मैं और मेरी लुगाई।।

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पता नहीं समय कैसा आ रहा।
शायद कलयुग का कहर छा रहा।।
जिस हवा में खुली सांस लेते थे कभी।
उसी हवा में नाक ढकना जरूरी है अभी।।

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हवा कम पड़ रही है दवा कम पड़ रही है।
फिर भी इंसान को मजाक ही सुझ रही है।।

ना पहनता है मास्क और ना ही रहता घर पर।
भंयकर बिमारी है यु मरने मत निकल बाहर।।

इतना भी मजाक में मत लो यार बिमारी को।
मास्क लगा लो हमें हारना नहीं हराना है बिमारी को।।

हालात इतने खराब है कि दवाखानो में जगह नहीं।
समझदारी घर रहना है इस मंत्र को समझ जाओ जल्दी।।

हवा कम पड़ रही है दवा कम पड़ रही है।
फिर भी इंसान को मजाक ही सुझ रही है।।

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हम तो जनाब शब्दों के कवि थे।
किसी पार्टी विशेष के व्यक्ति नहीं है।।
दो शब्द क्या लिख दिए किसी पार्टी पर ।
आपने बदनाम कर दिया विरोधी कह कर।।

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खुबसूरत ज्ञान से बने ।
शरीर में क्या रखा है ।।
किताबों से दोस्ती रखे ।
तकदीर बदलने का...यही एक रास्ता है।।

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आज बहुत दिनों बाद कुछ लिख रहा हूँ
उसकी आँखों को देख,फिर से कलम पकड़ रहा हूँ

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हे पुंजीपति तु मजदूर को इतना मत लुटा कर।
दिन भर मेहनत की उपर न देखा आख उठा कर।।

जब वो शाम को लेने आया स्वयं का मेहनताना।
तो तुने आधी मजुरी देके घर पे भेज डाला।।

नहीं पाना चाहता था वो इतने कम पैसे।
फिर भी हंस के लिए क्यों कि पता है उसे
जल्दी ही जाएगें संसार से तेरे जैसे निकम्मे।।

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