कवि विशाल Shrivastav   (कवि विशाल श्रीवास्तव)
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Joined 15 June 2021


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Joined 15 June 2021

नागफनी की हरियाली को घास बताकर।
लूटेंगे वो तुमको अपना खास बताकर।

थोड़े से लालच में आकर मत बिक जाना,
धोखा भी देंगे तुमको विश्वास बताकर।

चेहरा धोखेबाजों का मैंने दिखा दिया,
कटवा देते थे गायें जो मांस बताकर।

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कल जब आफिस जा रहा था तो लगा किसी ने रोका है,
बेटा पैसे देख ले,
तू अक्सर भूल जाता है,
अगर न हों तेरे पास,
तो मैं दे रहा हूं,
और हां ज्यादा मेहनत न करना,
थोड़ी आराम भी करना,
मां ने टिफिन लगा दिया,
या अभी भी किचन में ही है,
देख बेटा ये तेरे लिए,
शाम को शहर से घड़ी लाया था,
पहले लाकर नहीं दे पाया,
क्योंकि मजबूर था मैं।

लेकिन ख्वाब टूटा तो पाया,
बहुत दूर था मैं।

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वो दर्द भी लिखो वो चुभन भी लिखो।
गर लिखो प्रेम तो सूना मन भी लिखो।
लिखे कवियों ने लखन उर्मिला और भरत,
युवा पीढ़ी के कवि शत्रुघ्न भी लिखो।

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जो लोकतंत्र में दीमक हैं उनके सीने पर चोट करो।
जो भारत भाग्य विधाता है उसको सभी सपोर्ट करो।
जो बांटे पैसे शराब सीविजिल एप्प से करो शिकायत,
जागरूक मतदाताओं अबकी शत प्रतिशत वोट करो।

20 फरवरी को समस्त जनपद फर्रुखाबाद के मतदाता वोट अवश्य करें।

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मैं मोहब्बत का प्याला ले ये कहां आ गया,
यहां के लोग तो दुश्मन को भी मेहमान कहते हैं।

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देखा होगा महानगर पर अपराकाशी सा आबाद नहीं।
देखा भी तो क्या देखा गर देखा फर्रुखाबाद नहीं।

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यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता...

तुम हो तो मैं हूं,
तुम रहोगी तो मैं रहूंगा।
तुम्हारे होने से हूं मैं,
ये तो मैं हर पल कहूंगा।
प्यार से ज्यादा सम्मान है,
दिल में मेरे तुम्हारे लिए।
मन मंदिर में सजाया है तुम्हें,
आराधना करी तुम्हारे लिए।

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शायद अब भी प्यार बचा है उनके दिल में,
तभी तो अक्सर मैसेज उनके आते हैं।

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लपेटे खंजरों पर फूल ,
बनाई माला,
पहनाकर हमें,
गले से लिपट गये।
वक्त गुजरा,
फूल गले,
खंजर चमका,
गले सबके कट गये।

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यहां हमनें आंसू पोंछे, और उधर वो रो रहे हैं।
न चैन मुझको है उस बिन, बेचैन वो हो रहे हैं।

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