कैसे देखती है लोगो की आँखे मुझे,जैसे निकाल लेगी जिस्म से जान,पापा क्या उन आँखों से बचाने को,तुम रखते थे मुझे खुदके पास। -
कैसे देखती है लोगो की आँखे मुझे,जैसे निकाल लेगी जिस्म से जान,पापा क्या उन आँखों से बचाने को,तुम रखते थे मुझे खुदके पास।
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होने को क्या कुछ नही हो सकता,आज हूँ मैं पर क्या पता कल न रहूँ। -
होने को क्या कुछ नही हो सकता,आज हूँ मैं पर क्या पता कल न रहूँ।
उतनी ही सब को मेरी जरूरत रही,जितनी समंदर को रही पानी की कमी। -
उतनी ही सब को मेरी जरूरत रही,जितनी समंदर को रही पानी की कमी।
कुछ कहाँ रह रहा है मुझ में मेरा,कतरा - करता बिखर रहा है। -
कुछ कहाँ रह रहा है मुझ में मेरा,कतरा - करता बिखर रहा है।
दर्द में कितना सुकून है न,रूक गया है मुझमे,थम गया है मुझमे,लौट न पाऊँ कभी में इस से,दर्द में ही मेरा सुकून है -
दर्द में कितना सुकून है न,रूक गया है मुझमे,थम गया है मुझमे,लौट न पाऊँ कभी में इस से,दर्द में ही मेरा सुकून है
सब कुछ खत्म होता जा रहा है,मुझ में मेरा, मुझ से मेरा,कतरा कतरा कर के टूट रहा है। -
सब कुछ खत्म होता जा रहा है,मुझ में मेरा, मुझ से मेरा,कतरा कतरा कर के टूट रहा है।
ये तकलीफ बढ़ती ही जा रही है,ना जान में जान आ रही है...ना जान से जान जा रही है। -
ये तकलीफ बढ़ती ही जा रही है,ना जान में जान आ रही है...ना जान से जान जा रही है।
अच्छे रहने का भी एक कर्ज़ चुकाया है,सब को खुदका साथ देकर खुदको अकेला पाया है। -
अच्छे रहने का भी एक कर्ज़ चुकाया है,सब को खुदका साथ देकर खुदको अकेला पाया है।
थाम कर कोई हाथ मेरा,कभी तो देखे आँखों में,दर्द पढ़े और पढ़े मेरे सवालो को,कभी तो रहे कोई साथ मेरे,इतनी कमियों के बाद मेरे,कोई तो देखे जज़्बात मेरे,थाम के कोई तो मेरा हाथ रहे। -
थाम कर कोई हाथ मेरा,कभी तो देखे आँखों में,दर्द पढ़े और पढ़े मेरे सवालो को,कभी तो रहे कोई साथ मेरे,इतनी कमियों के बाद मेरे,कोई तो देखे जज़्बात मेरे,थाम के कोई तो मेरा हाथ रहे।
रोकने की हिम्मत कहाँ हुई हमसे,रूठने की ताकत कहाँ रही हम में,एक ईश्क़ किया और बर्बाद हुए,इज़हार करके भी हम कहाँ आबाद हुए। -
रोकने की हिम्मत कहाँ हुई हमसे,रूठने की ताकत कहाँ रही हम में,एक ईश्क़ किया और बर्बाद हुए,इज़हार करके भी हम कहाँ आबाद हुए।