Kushagra Singh   (*कुश_निधेश)
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Joined 5 August 2018


Joined 5 August 2018
14 MAR 2023 AT 21:52

ज़िम्मेदारियाँ
मर्द की जवानी खा जाती है ,
जिस्म की रवानगी खा जाती हैं
चमकते चेहरे , खिलखिलते बदन खा जाती है
काले बालों को कर सफ़ेद , सिर की फसल खा जाती है
ज़िम्मेदारियाँ
मर्द की जवानी खा जाती हैं,
चेहरे बेदाग़ बचपन के , झुर्रियों की क्यारियाँ बना जाती हैं
कभी अपने , कभी अपनों की पनाह बना जाती हैं
ज़िम्मेदारियाँ
मर्द की जवानी खा जाती है
तुमने क्या किया , किसके लिये किया
सुनते सुनते कान खा जाती है ,सुनो एसा ना कहो
रोको इसे , बेटा एसा ना करो
कहते हुए जुबान थका जाती है,
ज़िम्मेदारियाँ
मर्द की जवानी खा जाती हैं

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3 FEB 2023 AT 17:48

देखते ही देखते दुनिया से मैं उठ जाऊँगा
देखती की देखती रह जाएगी दुनिया मुझे

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18 DEC 2022 AT 11:36

उलटियाँ होने लगी हैं नफ़रतों की,

लगता है सियासत के पाँव भारी हैं ।

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9 DEC 2022 AT 17:44

जुबानी इबादत ही काफी नहीं है
खुदा सुन रहा है खयालात भी.....

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5 OCT 2022 AT 13:30

जीती बाजी,हारी देखी है हमने,
इस कदर लाचारी देखी है हमने।

बहुत हल्के फुल्के होते हैं सुकून,
ख्वाहिशें ही भारी देखी है हमने।।

वक्त से आगे बढने की जिद में,
उम्र भर बेकरारी देखी है हमने।

अपने सपने,खुशियाँ,ख्वाहिशें,
मौतें इतनी सारी देखी है हमने।।

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13 AUG 2022 AT 14:18

सही हैं ❤️

प्रेम पीपल हैं
कही भी उग आता है
पर क्या हर पीपल को पूजा जाता है
उत्तर हैं....... "नही "
इससे पहले की वो अपनी जड़े मजबूत करे
उखाड़ के फेक दिया जाता है...
कई बार प्रेम के साथ भी यही होता हैं
कभी कभी प्रेम अपना वजूद नही पाता हैं
पर पता है क्या.....
जब उस पीपल को उखाड़ के फेका जाता है
उसमे सिर्फ़ दो चीजों को फर्क पड़ता हैं
वो पीपल और वो ज़मीं....
उसी तरह प्रेम भी जब अपना वजूद खोता है
सिर्फ़ दो चीजों को फर्क पड़ता है
वो ह्रदय जहां निश्चल प्रेम था ,उसे छला गया
और प्रेम...... 💔

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30 JUL 2022 AT 23:48

परिवार के बाद कोई सबसे करीब होता है तो वह है दोस्त,मित्र,सखा....
आज पारिवारिक समस्या के कारण आप सभी को मित्रता दिवस ( friendship day) की शुभकामनाए नही दे पाया
पुनश्च:
मित्रता दिवस की शुभकामनाएं
#Happy Friendship Day

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19 JUL 2022 AT 23:26

उम्र का ताल्लुक सालो से नहीं होता,
कभी कभी इंसान भरी जवानी में
सदियों पुराना हो जाता है

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15 MAY 2022 AT 22:48

तेरे शहर से गुजर रहे हैं
क्या बताएँ क्या गुजर रही है
याद आते है फिर वो लम्हे
छुरियां सीने पर चल रही है
तेरे शहर से....
वो मुलाकाते वो साथ हंसना
वो जिंदगी का मजे में कटना
हुआ हादसा फिर एक ऐसा
कि सांस मुश्किल से चल रही है
तेरे शहर से....
मेरी जिंदगी भर की खुशियां
तेरे नाम मैं कर भी दूं तो
है क्या भरोसा इस जिंदगी का
ना जाने कब तक ये चल रही हैं
तेरे शहर से गुजर रहे हैं
क्या बताएं क्या गुजर रही है

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7 MAY 2022 AT 15:01

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