लफ़्ज़ नहीं पास मेरे जो बयान कर दे
कि कितनी मोहब्बत है तुझसे ....
मुश्किल है अब रहूँ तनहा तेरे बिन ,
ख़्यालों में नहीं हक़ीक़त में मिलना है तुझसे...
तुझे दिखाऊँ कि इन आँखों में बस,
तस्वीर तेरी है तेरे ही ख़्वाब हैं...
तुझसे ही मोहब्बत का एहसास है
जीने की आस है और इश्क़ के जज़्बात है !!
चलूँ हर कदम साथ तेरे , नहीं फ़िक्र
कि राह कठिन है या आसान है...
बस हाँथ थामे रखना मुश्किलों में भी,
तेरी हर ख़्वाहिश में दिल से मेरा साथ है !!-
खेलप्रे... read more
कर दूं जाहिर अरमान सभी दिल के
मेरा सर तेरी गोद में रखने दोगी क्या ?
भीग जाऊँ तेरी झील सी आँखों में
कभी मुझे इनमें डूबने दोगी क्या ?
महसूस कर लू तेरी धड़कनों को
कभी मुझे दिल मे उतरने दोगी क्या ?
गिर चुका हूँ तेरे इश्क के समुंदर में
हाथ थामकर सम्भलने दोगी क्या ?
देख रहा हूँ ख्वाब हसीन मुलाकात के
दे कर साथ हद से गुजरने दोगी क्या ?-
बीत गया वो प्यारा बचपन,
जब खुशियो का बसेरा होता है
आज तो बस नयी जिम्मेदारी से
हर दिन का सवेरा होता है !!-
इक अधूरी सी ख्वाहिश का ख्वाब हो तुम...
जिसे पा न सकूँ , वो हसीन गुलाब हो तुम...!!-
शहरों में बस शौर-शराबा करते दिन-रात है....
इन सँकरी गलियों मे कहाँ,गाँव जैसी वो बात है !
धुँधले हो गये हैं , सितारे भी दूषित हवाओं से
गाँव की हवा में एक मीठा सा एहसास है !!
चिलचिलाती धूप में, क्यूँ तम-तमाये से फिरते हो ,
कभी बैठो पेड़ की छाँव में, बड़ा मनभावन आभास है !
खोये हुये हो शहर की, तीव्र कर्कस आवाज़ों में..
गाँव में पत्तों से निकले, मधुर संगीत का साज है !!
तुम क्या जानों, चूल्हे की रोटियों के स्वाद को..
दिमाग़ में तुम्हारे, मोमोस-पिज़्ज़ा का राज है !
बैठो सुकून से कभी ,पसीने से सींची मिट्टी में भी..
जीवन भर चाव से खाया, जिसका अनाज है !!
उड़ने की ख्वाहिशें भी बंद हैं, चार दीवारों में यहाँ..
खेत की लहराती फसलों में, गुम होना भी ख़ास है !
कितने भी रिश्ते निभा लो, बनावटी लोगों से यहाँ..
गाँव के किसान का दिल तो, आज भी साफ़ है !!
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——(असहाय मज़दूरों की मनोव्यथा)——
ऊँचे नही है सपने मेरे , दो वक्त की रोटी चाहता हूँ ...
न मिले आराम कहीं तो, फुटपाथ - ज़मीन पर सोता हूँ !
कर- निर्माण भवन शहरों में , गति जीवन को देता हूँ ....
तुम पियो हज़ारों पेय मन के, मैं पीकर पसीना जीता हूँ !!
चिन्तन में डुबे कल के तुम ,मैं बस आज में जीता हूँ ...
दे देते तुम तनिक सहाय, मैं आस लगाये बैठा हूँ !
समय नहीं है हित में मेरे , तुम कुछ सहाय तो कर देते...
अधिक नही थी आशा तुमसे , भर पेट अन्न ही दे देते !!
समय नही बस ठहरा रहता , तुम भी हांथ फैलाओगे ...
अपने निज स्वार्थ हेतु जब , स्वयं को अकेला पाओगे !
तब जानोगे मूल्य हमारा , हम न वापस आयेंगे ...
छोड़ जिस गाँव को शहर थे आये, विकसित उसे बनायेंगे !!
लाख जतन कर लेना तुम , पर हम न वापस आयेंगे ....
जिस मिट्टी में जन्म लिया था, उस मिट्टी में मिल जायेंगे ! !
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जरूरी नहीं हर ज़ज्बात को पन्नों में उतारा जाये,
या हर ग़म को अश्कों में बहाया जाये...
इश्क़ करने वाले तो पढ़ लेते हैं नम आँखों को भी,
तो क्यूँ न हर पल जी भर कर मुस्कुराया जाये !!-
करूँ तेरी हर ख्वाहिश पूरी,
सभी शर्तें भी तेरी मानूं ....
हैं हज़ारों जो समझें लफ्जों को
मेरा मौन समझे तो अपना जानूँ !!-
न कर गौर मेरी बातों पर, तू कहीं खो न जाये,
शोर भरी महफ़िल में भी, तनहा हो न जाये...
हैं इल्ज़ाम काफ़ी, नाचीज़ दिल पर किसी और के
कहीं फिर से दिल तेरा गुनहगार हो न जाए...-
कुछ यादें , कुछ बातें याद सदा रहती है ,
जो रक्त की तरह , मेरी नस-नस में बहती है..!
शायद तुम याद करो या न करो मुझे,
इस दिल में तो बस तुम ही तुम रहती हो...!!-