Kush   (......₹वि🌞.......✍🏻)
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Joined 16 September 2018


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Joined 16 September 2018
22 NOV 2022 AT 11:47

लफ़्ज़ नहीं पास मेरे जो बयान कर दे
कि कितनी मोहब्बत है तुझसे ....
मुश्किल है अब रहूँ तनहा तेरे बिन ,
ख़्यालों में नहीं हक़ीक़त में मिलना है तुझसे...
तुझे दिखाऊँ कि इन आँखों में बस,
तस्वीर तेरी है तेरे ही ख़्वाब हैं...
तुझसे ही मोहब्बत का एहसास है
जीने की आस है और इश्क़ के जज़्बात है !!
चलूँ हर कदम साथ तेरे , नहीं फ़िक्र
कि राह कठिन है या आसान है...
बस हाँथ थामे रखना मुश्किलों में भी,
तेरी हर ख़्वाहिश में दिल से मेरा साथ है !!

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13 OCT 2022 AT 15:29

कर दूं जाहिर अरमान सभी दिल के
मेरा सर तेरी गोद में रखने दोगी क्या ?
भीग जाऊँ तेरी झील सी आँखों में
कभी मुझे इनमें डूबने दोगी क्या ?
महसूस कर लू तेरी धड़कनों को
कभी मुझे दिल मे उतरने दोगी क्या ?
गिर चुका हूँ तेरे इश्क के समुंदर में
हाथ थामकर सम्भलने दोगी क्या ?
देख रहा हूँ ख्वाब हसीन मुलाकात के
दे कर साथ हद से गुजरने दोगी क्या ?

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14 MAY 2022 AT 12:31

बीत गया वो प्यारा बचपन,
जब खुशियो का बसेरा होता है
आज तो बस नयी जिम्मेदारी से
हर दिन का सवेरा होता है !!

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12 MAY 2022 AT 15:46

इक अधूरी सी ख्वाहिश का ख्वाब हो तुम...
जिसे पा न सकूँ , वो हसीन गुलाब हो तुम...!!

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17 NOV 2021 AT 10:27

जरूरी नहीं हर ज़ज्बात को पन्नों में उतारा जाये,
या हर ग़म को अश्कों में बहाया जाये...

इश्क़ करने वाले तो पढ़ लेते हैं नम आँखों को भी,
तो क्यूँ न हर पल जी भर कर मुस्कुराया जाये !!

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8 NOV 2021 AT 23:14

करूँ तेरी हर ख्वाहिश पूरी,
सभी शर्तें भी तेरी मानूं ....
हैं हज़ारों जो समझें लफ्जों को
मेरा मौन समझे तो अपना जानूँ !!

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11 JUN 2021 AT 15:44

न कर गौर मेरी बातों पर, तू कहीं खो न जाये,
शोर भरी महफ़िल में भी, तनहा हो न जाये...
हैं इल्ज़ाम काफ़ी, नाचीज़ दिल पर किसी और के
कहीं फिर से दिल तेरा गुनहगार हो न जाए...

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23 SEP 2020 AT 1:04

कुछ यादें , कुछ बातें याद सदा रहती है ,
जो रक्त की तरह , मेरी नस-नस में बहती है..!
शायद तुम याद करो या न करो मुझे,
इस दिल में तो बस तुम ही तुम रहती हो...!!

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16 SEP 2020 AT 19:53

यहाँ तो हर वो शख़्स टूटा है..,
जिसका, उसके इश्क़ से दामन छूटा है..!
ख़ुशियाँ भी मोड़ लेती हैं रुख़ उसकी राह से,
जिसका हसीन ख़्बाव बार- बार टूटा है ..!

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15 SEP 2020 AT 10:05

वाह नेता तेरा भी खेल अनूठा है,
जलमग्न है शहर या गाँव में पड़ा सूखा है ...
क्या खाएगा किसान बेचारा ,
जिसने खून पसीने से धरती को सींचा है ...
डूब गई है योजनाएं सभी,
नेताओं का वादा भी झूँठा है ...
भ्रष्ट नेता तो रहे बड़े महलों में,
क्यों किसान का घर,आज भी छोटा है ...
वोट माँगने घर-घर आते हो ,
विकास के नाम पर बस धोखा है...!!

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