Kunwar Deepak Faridabad   (Kunwar Deepak)
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Joined 15 May 2018


Joined 15 May 2018
4 MAY 2021 AT 13:26

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19 FEB 2021 AT 13:33

दुनिया में हम क्यों भटके,
यहां रंग बिरंगे मेले हैं
सच्चा साथी श्याम हमारा,
चलते ना हम अकेले हैं
हम श्याम बिहारी के चेले हैं

दुनिया से हमें क्या है लेना,
श्याम से ही है लेना देना
श्याम नाम का लेके सहारा,
दुख संकट सारे झेले हैं
हम श्याम बिहारी के चेले हैं

दुनिया की है रीत पुरानी,
मतलब से है प्रीत पुरानी
साथ हसेंगे यार जो बनकर,
दुख मे बस श्याम अकेले है
हम श्याम बिहारी के चेले हैं

दीनो का है श्याम सहारा,
हारे हुए को पल में उबारा
दीपक श्याम बिहारी हमारे,
सरकार श्याम अलबेले हैं
हम श्याम बिहारी के चेले हैं

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24 DEC 2020 AT 18:26

दर्श करा दे, मेरे सांवरे
म्हारे नैना हुए बावरे
थारा कुछ...भी ना लगे,
थारे बिन...जी ना लगे

म्हारी हालत बस, तू ही जाने
रो रो गुज़ारू दिल ना माने
कैसे जियुं श्याम...मेरे सांवरे
थारा कुछ...भी ना लगे,
थारे बिन...जी ना लगे

एक बस तू ही, दिखे मुझको
दिल की सुनाउँ मैं, किसको
धीर बंधाओ श्याम...मेरे सांवरे
थारा कुछ...भी ना लगे,
थारे बिन...जी ना लगे

मेरा भरोशा बस एक तूँ
दिल मे श्याम, एक बस तू
पीर मिटाओ श्याम...मेरे सांवरे
थारा कुछ...भी ना लगे,
थारे बिन...जी ना लगे

प्रेम का डोरी से, तूने बाँधा
दीपक श्याम से ,जन्मों का नाता
दर्श दिखाओ श्याम...मेरे सांवरे
थारा कुछ...भी ना लगे,
थारे बिन...जी ना लगे

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24 DEC 2020 AT 18:24


म्हारो साँवरियो दिलदार, म्हारो साँवरियो
मन भायी बाबा जी थारी चाकरी,
थारा हूँ चाकरीयो, म्हारो साँवरियो

दर्शन कर बाबा ओ नैना भर आवे
झूमे हिवड़े रो मोर, म्हारो साँवरियो

थे ही आसरो श्याम भरोसो म्हारो जी
थारे हाथो म्हारी डोर, म्हारो साँवरियो

मैं के जानू नाथ, थे हो अंतरयामी
थे देखो म्हारी ओर , म्हारो साँवरियो

थे थामो जी डोर मैं तो हार गयो
थारो दीपक घनो कमजोर, म्हारो साँवरियो

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24 DEC 2020 AT 18:21


थारे दर्शन बिना म्हारे श्याम, कुछ भी ना भावे
भर भर आवे कालजो मेरो, याद थारी आवे

थारे दर पर आना चाहूं, जी भर थांरा दर्शन चाहूं
बिन देखे थाने बाबा, नैन भर भर आवे

थारे दर पर आके बाबा , भजनों से थाने रिझाना चाहूं
बिन सुनाए थाने दिल की, हिवड़ों ना माने

‌बहुत चाव से ओ म्हारे बाबा, थांरा भोग लगाना चाहूं
बिन थारी मनुहार के, मनडो ना माने

थारे चरणों में म्हारे बाबा, दीपक धोक लगाना चाहूं
पगधूलि लिए बिन श्याम, चैन कोनी आवे

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15 OCT 2020 AT 9:54

तर्ज- ये तो सच है कि भगवान है

ये श्री बालाजी महाराज हैं,
रखते भक्तो की ये लाज हैं
सालासर के मेरे बालाजी,
प्रभु सियाराम की शान हैं
ये श्री बालाजी महाराज हैं

सबके दाता हैं ये, नाम हनुमत मिला
थामकर इनकी उंगली है, जो भी चला
चर्नो मे बैठ के, इनके देखो कभी
दूर हो जाएगी आपकी हर बला
इतने उपकार हैं क्या कहें
ये बताना न आसान है
सालासर के मेरे बालाजी

आसरा है तेरा, सारा जग ये कहे
तेरे चर्नो से ही, प्रेम गंगा बहे
आए जो भी यहाँ, दुख को ये टाल दे
राम कहता है जो, ये उसे प्यार दे
बाला के रूप में है प्रभू
देता सबको ही वरदान है
सालासर के मेरे बालाजी

आपके दर पे हम, यूँ ही आते रहें
आपके प्रेम को यूँ ही पाते रहें
करुणा मिलती रहे, आपके चर्नो से
ध्यान दीपक रहे, आपके चर्नो मे
आप यूँ ही मेहरबा रहें
सबके दिल मे ये अरमान है
सालासर के मेरे बालाजी

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15 MAY 2018 AT 11:23

जिसकी मिट्टी में ममता है, आँचल प्यार का साया है !
प्रेम प्यार से सनी हुई, जिसकी अद्भुत छाया है !!

यहीं आके हमको चैन मिले , यह कैसी तेरी माया है !
हम धन्य हुए माँ, प्यार तेरा हमने पाया है !!

हर पल हर छन तूने, हमारा साथ निभाया है !
हम धन्य हुए तूने , हमको सीने से लगाया है !!

सूरज ने हर सुबह तुझे, आकर शीश झुकाया है !
पर्वत हिमालय ने तुझे, अद्भुत ताज पहनाया है !!

तेरी ही पवित्र सुगंध ने, हर फूल को महकाया है !
अम्बर ने तेरे आँगन को, सितारों से सजाया है !!

तेरा गुणगान तेरी महिमा को, ऋषियों ने भी गया है !
तेरे ही तत्वो से बनी, हमारी ये काया है !!

ममतामयी वरदायानी, तेरी अद्भुत छाया है !
तेरी संतान होने का माँ, गौरव हमने पाया है !!

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15 MAY 2018 AT 11:16

वो क़लम नहीं हो सकती है जो बिकती हो बाज़ारों में !
क़लम वही है जिसकी स्याही, ना फीकी पड़े नादिया की धारों में !!

क़लम वो है जो बनती है, संघर्ष के तूफान से !
लिखती है तो बस सिर्फ़ मानवता क़ी ज़ुबान से !!

क़लम चाकू नहीं खंज़र नहीं, क़लम तलवार है !
सत्यमेव ज्यते ही इसका आधार है !!

समाज़ के हर वर्ग तक इसका विस्तार है !
ये ना किसी की मोहताज, ना क़र्ज़दार है !!

बेखौफ़ आँधियों और तूफ़ान सा वार करती है !
प्रव्रति से ज़ुल्म पर सदा प्रहार करती है !

साहित्य का भंडार, इसका चमत्कार है !
माँ सरस्वती का दिया, अद्‍भुत उपहार है !!

देशभक्ति सच्चाई भरा इसका हर व्‍यवहार है !
समाज का उत्थान इसका अधिकार है !!

कभी कल्पना से कभी सच से रिश्ता निभाती है !
झूठ को कभी ना ये सच बनाती है !!

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15 MAY 2018 AT 11:07

मूक क़लम को साधकर
भावनाए बाँधकर

होठों पे गुनगुनाते हुये
आधे अधूरे से गीतों को

रात के अँधेरे में
दीपक के प्रकाश से

वह लिख रहा होगा
वह लिख रहा होगा

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