कुँवर सुमित  
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मैं एक गुलाब हूँ फिराक के शहर का
मैं उनके दीवान में पड़ा रहता हूँ ।।
Joined 19 August 2018


मैं एक गुलाब हूँ फिराक के शहर का
मैं उनके दीवान में पड़ा रहता हूँ ।।
Joined 19 August 2018
21 AUG 2021 AT 12:24

उस ग़ज़ल मे बस वही इक शे'र अच्छा था ,
शे'र जिसको वज़्न से खारिज़ किया गया ।

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सबसे बुरा नही होता ,

तूफान का आना
धरती का हिलना
या युद्ध का होना ।

सबसे बुरा होता है ,

किसी संगीत पे झूम ना पाना
किसी चुटकुले पे हँस ना पाना
किसी कविता को महसूस ना कर पाना ।

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17 AUG 2020 AT 21:45

शरम हमे आ रही तौबा में ए ख़ुदा
ख़ुदा इक गुनाह हम बड़ा कर चुके ।

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11 APR 2020 AT 13:11

Nazm
साला पिछले दो घंटे से आँख घड़ी पर टिकी हुई है ,
छोटी सुई एक पे थी जब ज़हन पे तेरी याद चढ़ी थी..
सब कुछ एकदम सुन्न हो गया ....
बगल में रखी कॉफ़ी से भी गर्मी सारी निकल गयी है ,
एकदम वैसे जैसे हौले हौले मेरी दुनिया से तुम
हिज़रत कर गए ....
सच कहता हूँ दो घंटे से दुनिया सारी रुकी हुई है ,
चाँद सितारे रुके हुए हैं , मैं भी एकदम ठहर गया हूँ ,
मेरा कमरा रुका हुआ है...
बस दो ही शय जो भाग रहीं हैं ...एक तो है यह घड़ी की सूई ..
और तुम भी शायद गतिमान हो ...
छोटी सुई तीन पे आ गयी , अब बहुत हो गया उतरो
पागल ...ज़हन से मेरे ।

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तुम बाहों में हमको समेटो जरा
अगर सिमट कर हम मर जाएंगे
तो जाकर के जन्नत में एलिया से कहेंगे
सुनो एलिया सब गलत है भाई ..
सुनो एलिया वो इतराते है अब भी
जिन्हें अपना कहती हैं मोहतरमा
गली की बात जाती है गली गली अब भी
लेकिन उन्हे अब फर्क नही पड़ता ।
सुनो एलिया अब गले लग कर सो जाते हैं
दोनो जागने की कोई भी जहमत नही करता ।
जो भी हो अब ज़िन्दगी गुज़ारने में आसानी है ।
मिलने को आते हैं लोग तो अब हम भी
बुला कर नही लाते खुद को ..
और न ही अब जलन है किसी की खुशी से ।
और बिता रहे हैं वक़्त कि किसी दिन
दस्तक दें दरवाजे पर और बुड्ढे से निकलें ।
एलिया! उन्होंने बाहो में समेटा तो
पर मरे नही हम ,
कैसे कहेंगे इतनी बातें तुमसे अब
सॉरी भाई ! फिर कभी ।

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क़फ़स में क़ैद परिंदे का हौसला देखे
इससे बेहतर भला कोई क्या देखे ?

qafas meiN qaid pariNde ka hausla dekhe
Isse behtar bhala koi kya dekhe ?

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21 FEB 2020 AT 19:32

घेर लिया बादल ने अम्बर , सूरज को भी ढक डाला
सूर्यमुखी सा देख रहे थे , बस में आखिर क्या था मेरे ।

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तुम्हारे ख़ून का पानी
तुम्हारे पेट की रोटी ,
तुम्हारे तन के सब कपड़े
तुम्हारे मास की बोटी ।

किसी के सूट में छुप गए
किसी के बूट से दब गए ।

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तुम्हारा जन्मदिन

(Read in caption)

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जब कभी तारीख़ का कुछ पढ़ाया जाएगा
यार हमारे बारे में सब कुछ पढ़ाया जाएगा ।

स्कूल में कुछ कुछ पढा कर छोड़ देंगे पर
कॉलेजों में यार सब कुछ पढ़ाया जाएगा ।

फलसफ़ों में कुछ चैप्टर हमारी सोच के होंगे
कहानियों में हमारा दुख पढ़ाया जाएगा ।

इश्क़ के सिलेबस में बस दो ही चीज़े होंगी
लब हमारा और उनका रुख पढ़ाया जाएगा ।

प्रैक्टिकल में सुनो बच्चों दुख ही मिलना है
लाख थ्योरी में तुम्हे सब सुख पढ़ाया जाएगा ।

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