यह भूमि है ऋषि मुनियों की
पुनः संतों की अभ्यस्त कब होगी
इलाहाबाद प्रयागराज हुआ
दिल्ली अपनी इंद्रप्रस्थ कब होगी-
{मृत्यु निश्चित है किन्तु इसका समय अनिश्चित है}
तुम्हारा हर प्रयास विफल होगा
मुझे दुःख पहुंचाने का
इस असामयिक मृत्यु के लोक में
समय नहीं तुम्हारे वचनों को हृदय से लगाने का-
दिल्ली भी योगी को देदो
केजरीवाल के बस की बात नहीं
भटक जाए UP में कोई
नौजवानों की इतनी औकात नहीं-
अखिल विश्व है संकट में,
संकट में अपना देश है
वेदों की ओर लौटो,
स्वामी दयानंद का यह संदेश है-
जला कर सम्पत्ति देश की, तुम बुला रहे अपनी बर्बादी को
देश की प्रगति बाधित करके, तुम मांग रहे कैसी आजादी हो
आतंक ही तुम्हारा मज़हब है, तुम मज़हबी आतंकवादी हो
मानवता के विरूद्ध कर्म तुम्हारे, मनुष्य नहीं तुम जिहादी हो
सेना पर पत्थर बरसा कर, अशांत किया कश्मीरी वादी को
अल्पसंख्यक की श्रेणी में तुम, गद्दारों की आबादी हो
न तुम भारत के सपूत हुए, न तुम मेरे भाई हो
मैं आर्यावर्त का हिन्दू हूं, तुम कौम्मी कसाई हो
जागो आर्यों जागो, लेलो हाथ हथियार
जिहाद रहित हो आर्यावर्त, कह रहा आर्यन देव परिहार-
कहने को तो दोस्त हज़ारों हैं
मगर दोस्ती के हक़दार नहीं
इंसान की शकल में कुत्ते हैं सब
पर कोई वफादार नहीं-
हासिल कर लूं सब मैं
ये अरमान कहां हैं
तक़दीर में नहीं जो किसी के
वो भी पाया मैंने
मगर गुमान कहां हैं-