...कुँवर...♠️ Maheshwari   (©Kunwar_ki_kalam_se)
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ℹ Kawarlal Maheshwari
Write For Pleasure✍
दिल की गुप्तगु लिखते है।
"शिक्षा शास्त्री"
Joined 23 May 2020


ℹ Kawarlal Maheshwari
Write For Pleasure✍
दिल की गुप्तगु लिखते है।
"शिक्षा शास्त्री"
Joined 23 May 2020

बस इतना सुलझा
हुआ बनना है जीवन में कि,
...
व्यस्तता ऐसी हो,
कि कोई और ख्याल मन में ही न आए।
...
थकान ऐसी हो
कि बिस्तर पर जाते ही नींद आ आए।

-



"कवित्त विवेक एक नहीं मोरे, सत्य कहूँ लिखि कागद कोरे।।"
(संक.)
कविता लिखना मेरे-बुद्धि, सामर्थ्य में कहाँ,
सत्य कहता हूँ, यह ईश्वर की ही कृपा है, कोरे कागज लिखने पर स्वत: कविता बन जाते हैं।

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ज्ञान दूर कुछ, क्रिया भिन्न है,
इच्छा क्यों पूरी हो मन की।
एक-दूसरे से न मिल सकें,
बस यही विडंबना है जीवन की।
(संक.)

-



सच मत बोलिए,
नहीं तो लोग आपको झूठा समझेंगे।
(संक.)

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There are some Mysteries,
which are some Unexplainable.
Because they was 'The Mysteries'.

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नीचेवाले भगवानों से उलझा बैठा हूँ! इस धरती पर,

हे! ऊपरवाले, मेरी मदद करना।

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मेरी सारी जिंदगी मेरी गलतियों का ही परिणाम है।
लेकिन उन सब में भी एक अच्छी गलती, मैंने यह की,
"कि मैं तुमसे मिला, और तुम मेरे जीवन में आए।"

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मेरी अच्छाई का शिला भले ही दुनियाँ न दे,
मगर हे! परमपिता, आप तो मेरे सारे कर्म जानते हैं।

-



सारी दुनिया वार दूँ,
'बहन' तुम पर,
फिर भी यह भाई के लिए
छोटी-सी बात होगी...!
इतना गहरा विश्वास जो है
तुम पर,
'ख़ुदा' भी खिलाफ़ हुए
जो कभी,
तो भी 'मेरी बहन',
'मेरे साथ' होगी।

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अच्छा सुनो ना प्रिय,
'मैं ' कुछ भी नहीं हूँ, लेकिन 'हम' बहुत कुछ हैं।

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