रात भर तरपता है।
जब भी पलकें झुकाऊं
ठोकर मार जगाता है।
कुंज-
कुन्दन "कुंज"
(Kundan Kunj)
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Joined 22 May 2018
15 JUL 2021 AT 19:14
चलो आसमां की बुलंदियों को छूते हैं,
किसी ने पर कतरा है, हौसला नहीं।-
26 JUN 2021 AT 22:42
मेरे दुःख के सागर इतने गहरे हो चुके हैं,
जहाँ सहारा की पतवार बहुत छोटी है।।
कुन्दन-
13 JUN 2021 AT 18:31
उड़ने की तमन्ना है तो जमीं पर रेंगना छोड़ दो,
बुलंद हौसलों के पर से सारे जंजीरों को तोड़ दो।
बहने दो अविरल मेहनत की धारा में खुद को,
ग़र राह में बाधक बने आलस्य धर पकड़ मड़ोड दो।
कुन्दन कुंज
-
13 JUN 2021 AT 17:24
नयन नाव है नीर का, केवट बना है मन।
पीड़ खड़ा है द्वार पर, लेकर यम का समन।
कुन्दन कुंज
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13 JUN 2021 AT 17:15
एकांत भीड़ की चोट का मंजर है,
उदास है बच्चा हाथ में खंजर है।
रौंदने वाले तो रौंदन कर चला गया,
अब इंसाफ़ का द्वार बना बंजर है।
कुन्दन कुंज-
10 APR 2021 AT 23:13
तुम्हारी दोस्ती समंदर की इक लहर को भी सह न सकी,
और तुम बात करती हो यार उमर भर साथ निभाने की।-