शाम होते ही मन में एक सवाल उठता है..!
आज दिन ढला है या उम्र..!-
कल किसी ने मुस्कुराते हुए मुझसे मेरी उम्र पूछी,
मैंने हंसते हुए कहा जितनी गुज़री लौटा दोगे क्या।।-
खुदा ही जाने कौनसा गुनाह कर बैठे हैं हम,
कि तमन्नाओ वाली उम्र में तजुर्बे मिल रहे हैं,-
सोचता हूं तो हैरान रह जाता हूं
कि कितना कुछ छीन लिया है मुझसे,
इस बर्दाश्त करने वाली आदत ने।-
बारिशो में भीगने की आरजू दिल में लिए हुए
जिंदगी हमने गुजरी धूप में चलते हुए..।-
कई बार अपनी ही इच्छा और उम्मीद का गट्ठर इतना भारी हो जाता है कि जीवन जो उत्सव होना चाहिए था वो एक त्रासदी हो जाता है।
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हम थे दर्द के मारे बैठे समुन्दर किनारे,
कोई न था हमारा हम थे खुद के सहारे.-
भ्रम यह था कि जिंदगी आज कल में है ।
सच ये है कि जिंदगी घोर दलदल में है।।
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कुछ तकदीर हार गई
कुछ सपने टूट गए
कुछ गैरों ने बर्बाद किया
कुछ अपने छोड़ गए-
टूटता है तो चुभता बहुत है,
क्या काँच...क्या ख्वाब...क्या रिश्ता...क्या दिल।-