Kunal Sharma   (Kunal kunj)
87 Followers · 83 Following

विद्यार्थी हूं साहब और सीखना ही मेरा धर्म है

8349882012
Joined 30 December 2017


विद्यार्थी हूं साहब और सीखना ही मेरा धर्म है

8349882012
Joined 30 December 2017
12 DEC 2020 AT 15:09

तुम नहीं मिलने वाली यह जानते हुए भी
मैं ढूंढ़ता रहा तुम्हें।

मैंने पर्वतों को झंझोडा नींद से उठा कर पूछा तुम्हारे बारे में
वह चहचहाती चिड़ियाँ की ओर इशारा कर वापस सो गया।

मैंने कितनी बार पेड़ों को गुदगुदी कर पूछा तुम्हारे बारे में डाल-डाल उछलती तितलियों की ओर इशारा कर वह जोर-जोर से हँसने लगा।


मैंने कितनी बार झरनों से जाकर पूछा
तुम्हारे बारे में वह उछलती मछलियों की ओर
इशारा कर जोर-जोर से कलकल गाने लगा।

मैं अब थका हारा सिर्फ इसी आशा में हूँ की
मछली तट पर वापस आए।
तितली फूलों पर मंडराए।
चिड़ियाँ आकर गीत सुनाए।

-


29 NOV 2020 AT 14:17

अंधभक्त


-


19 NOV 2020 AT 16:43



(कहानी का एक अंश)

-


5 NOV 2020 AT 22:40

अनुशीर्षक पढ़े।



-


4 NOV 2020 AT 0:02

"तुम्हारी कविताएँ"

मेरी देखा-देखी में,
मेरे लिए
लिखी गई,
तुम्हारी अपरिपक्व,
कच्ची-कच्ची कविताएँ,

भावनाओं की परिपूर्णता के
शिखर पर बैठी।
मेरे मन के प्रेम सागर में
कंकड़ फेंक,
करती हैं मीठी-मीठी
चोट के निशान।
चोटों से ऊर्जावान हो
सोचता हूँ अक्शर,

"तुम परिपक्व कविता लिखती तो क्या होता?"

-


12 JUL 2020 AT 15:24

"ख़्याल"

पाग़ल और मुझमें सिर्फ इतना फ़र्क है,

मैं पागलों की तरह हरकत नहीं करता।

-


30 JUN 2020 AT 14:39

मैं हर रोज़ बात करता हूँ
सामाजिक समरसता ,
महिला उत्थान ,
पशु- पक्षी ,
किसान ,
गरीब ,
वंचित ,
दबी आवाजों के लिए लड़ने की।

परन्तु "मैं सिर्फ़ बात करता हूँ।"

-


19 JUN 2020 AT 14:20

कभी - कभी  मन  बहलाने  को , करती  है  श्रृंगार।

जो बादल  बरसते कभी-कभी , वो लगते है अंगार।

-


9 JUN 2020 AT 16:42

जल जाती है अक्सर उसकी सब्जी और कढ़ाई।

जली भुनी  रोटी से  करती  ख़्वाबों  की तुरपाई।।

-


1 JUN 2020 AT 16:32

।।दोहा।।

तुम साधु के त्रिपुंड सी ,मैं नदियाँ का नीर।

हिमालय से उतर घड़ी , हर ले हमरी पीर।।

-


Fetching Kunal Sharma Quotes