अभी सोया ही था , की तेरे ख्यालों ने जगा दिया..
फिर लिखने लगा तेरे बारे में, तो नींद को भुला दिया ..
ये कैसा इश्क़ है जो मैं निभाता जा रहा हूं ..,
जिसे देखा नहीं आज तक , फिर क्यूं उसे भुलाता जा रहा हूं..!!
आग लगी है जो सीने में, अपनी कलम से बुझा रहा हूं
अपने इन आंसुओं को , अपने अंदर ही दबा रहा हूं..
मैं चीख रहा हूं .. मैं चिल्ला रहा हूं...
ये कैसा इश्क़ है जो मैं निभाता जा रहा हूं..!!
एक सूरत है धुंधली सी.., एक सीरत है बदली सी ..
वो कौन है.., जिसकी तलाश किए जा रहा हूं ..!!
सफर में कई साल बीत गए.., में फिर भी चला जा रहा हूं..
ये कैसा इश्क़ है जो मैं निभाता जा रहा हूं..!!
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