Kumkum   (Kumkum)
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अल्फ़ाज़ों में मेरे ज़ज़्बात बसते हैं।
Profession - Medico
Joined 27 April 2017


अल्फ़ाज़ों में मेरे ज़ज़्बात बसते हैं।
Profession - Medico
Joined 27 April 2017
22 JAN 2023 AT 18:10

बेपरवाह नहीं है हम तेरे जज़्बातों से,
पर क्या करे अब दिल नहीं लगता दिल लगाने में..!

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3 MAY 2021 AT 23:11

हसीं चेहरे लाख दिखेंगे
तुम ऐतबार बस मुझ पर रखना..!

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1 MAY 2021 AT 23:18

अंजान हो तुम मेरे ख़्यालों से
जैसे चाँद बेपरवाह है सितारों से।

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29 APR 2021 AT 23:24

तेरी तारीफ़ें पैग़ाम है
मोहब्बत मेरी का कुछ अच्छा ही अंजाम है..!

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29 MAR 2021 AT 14:15

रंग कुछ ऐसा चढ़े मेरा
के बे-रंग लगे तुझे किसी और की काया
बस अक़्स दिखे मेरा सबको जब भी देखे कोई तेरा साया..!

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20 JUL 2020 AT 23:37

मतभेद तभी होता है
जब कोई भेद होता है।

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19 JUL 2020 AT 23:17

ये कैसा दौर है ज़िन्दगी का
भाग भी उन्हीं से रहे है, जिनके लिए भाग रहे है।

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18 JUL 2020 AT 23:10

मोहब्बत थी इसलिए नहीं
मोहब्बत है इसलिए लिखती हूँ।

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17 JUL 2020 AT 14:27

उसने मुस्कुराना नहीं सीखा कभी
जब भी हँसी, खिल-खिलाकर हँसी..।

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17 JUL 2020 AT 14:00

सपनें बहुत देखे है बहुत उसके साथ के....।

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