Kumar Vk  
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Joined 11 April 2019


Joined 11 April 2019
26 APR AT 1:15

इन्ही बातों में जिंदगी कही गई खो
मुझे वो पसंद है और उसे पसंद वो

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23 APR AT 9:36

जब जब इस दिल ने की मनमानी
हाय तब तब हुई बहुत ज्यादा हानि

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8 APR AT 19:46

मेरी बेरंग ज़िंदगी में खुशी का रंग बन जाओ
में तुम्हारी डोर बनूं तुम मेरी पतंग बन जाओ

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2 APR AT 23:25

मुझे यूं तन्हा छोड़ के न जाता
गर तू मुझे थोड़ा भी समझ पाता

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2 APR AT 23:19

झूठ हमेशा स्वीकार हो रहा है
सच हर दिन बेकार हो रहा है

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18 MAR AT 14:49

जिंदगी की उलझन में झूलते जा रहे हैं
अब हम धीरे-धीरे खुद को भूलते जा रहे हैं

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13 MAR AT 22:49

खेतों की पगडंडी तो कभी राहों में
में यहां शहर में और मेरा मन ठहरा गांव में
निरंतर चल रहा हूं अकेलेपन की बाहों में
में यहां शहर में और मेरा मन ठहरा गांव में

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9 FEB AT 18:22

कुछ इस तरह मेरे किस्से मशहूर हो गए
दोस्त तो कम रह गए दुश्मन भरपूर हो गए

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9 FEB AT 18:19

मैं से लेकर हम तक सफर करना है
सारी उम्र तेरे संग ही बसर करना है

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8 FEB AT 20:03

चार दिन का प्यार और सालों की बर्बादी
किसी और से वादे और किसी और से शादी

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