Kumar Vinod  
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Joined 8 March 2019


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Joined 8 March 2019
14 MAY 2022 AT 0:21

आधा इश्क़,
पूरा इश्क़,
एक बूंद इश्क़,
लाल इश्क़,
पीला इश्क़,
नीला इश्क़,
अधूरा इश्क़,
मलाल इश्क़,
ढीला इश्क़,
रंगीला इश्क़,
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इश्क़ ना हुआ variety हो गई, हैं बहुत सारी मगर afford कोई नहीं कर पाता बस दुनिया को पागल बनाते जाओ।
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इतने सारे इश्क़ हैं कि आगे मैं किस इश्क़ के बारे में बोलना चाह रहा हूँ, आप समझ ही गए होंगे। 🙄😋😆

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26 MAR 2022 AT 15:36

अज़ीब कश्मोकश में हूँ मग़र कोई राय ना मिली,
पूरा दिन निकल गया और मुझे चाय ना मिली।

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17 FEB 2022 AT 16:10

किसी की ज़िद पर, यूँ ना सवाल उठा।
तू है सबसे बेहतर , यूँ ना बवाल उठा।

ग़र उठाना ही है तो फिर,
कदम राह की तरफ़ उठा।

कर रहा कोई बेईमानी,
तो उसे करने दे विनोद।

ख़ुदा की नज़र में दोनों हैं,
तू किसी पर उँगली ना उठा।

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8 FEB 2022 AT 10:42

पी रहा हूँ बालकनी में सुट्टा,
ले रहा धूप और चाय रखी सिरहाने है।

इधर मैं उसकी यादों में खोया हुआ,
पीछे से बीवी मार रही ताने है।

फर्क नहीं पड़ता अब दोस्तों,
हम तो सुन रहे 90s के गाने है।

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23 JAN 2022 AT 23:25

सुबह जल्दी जगने को,
रात को जल्दी अब सोना है।
रात और सुबह के फ़ासलें में,
देखो क्या-क्या होना है।

बादलों के घेरे में देखो,
चाँद को अगवा होना है।
तारे बेचारों की क्या हस्ती,
उनको भी कहीं खोना है।

सूरज की पहली किरण देखकर,
इक नया सवेरा फिर होना है।
ख़्वाब पूरे करने को फिर हमें,
छोड़ना अपना बिछोना है।

मैं कविता ही करते ना रह जाऊँ,
क्या जाने क्या अब होना है,
लम्हों की माला में ये दर्द भी पिरोना है।

बाद मेरे ज़िंदा रहें अल्फाज़ मेरे,
मेरे दिल की दीवारों में देखो,
इस ख्वाहिश का भी इक कोना है।

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23 JAN 2022 AT 23:16

कि राख में दबे हुए कुछ शोले उठा रहा हूँ मैं,
नाराज़ है वो, उसे मनाने का ज़िम्मा उठा रहा हूँ मैं।

भड़कना लाज़मी है उसका चिंगारी की तरह,
फ़िर भी ख़ुद को तिल - २ जला रहा हूँ मैं।

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20 NOV 2021 AT 23:11

ग़म के सहारे कितनी आसां होती है ज़िंदगी,
ग़म के सहारे कितनी आसां होती है ज़िंदगी,
ख़ुशी के खो जाने का अक्सर ठठका रहता है।

इक हुश्न के इशारे कितना मशगूल होता है इन्सां,
इक हुश्न के इशारे कितना मशगूल होता है इन्सां,
ता उम्र उसी में फ़िर वो भटका रहता है।

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20 NOV 2021 AT 22:21

हमें इल्म था उसके बेवफ़ा होने का,
हमें इल्म था उसके बेवफ़ा होने का,
हमनें रक़ीब से कुछ पूछना फिर ठीक नहीं समझा।

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20 NOV 2021 AT 22:13

कुछ वक़्त नहीं मिलता,
कुछ मेहरबां नहीं मिलते।

हमारी शेरो शायरी के हमें,
सही कदरदान नहीं मिलते

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20 NOV 2021 AT 22:06

बड़े शौक से status लगाते हैं आजकल के बच्चे मोहब्बत वाले,
एक हम हैं जो छिपकर movie भी देख के आते तो ticket फाड़ दिया करते थे।

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