Kumar Vineet  
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Joined 24 May 2020


Joined 24 May 2020
1 FEB AT 6:57

विश्वास करो!
रिश्ते कमज़ोर ही होते हैं,
चले जाते है लोग छोड़ के बेवजह,
टूट जाते हैं हर सपने साथ देखे हुए,
बिछड़ जाते हैं लोग साथ बैठे हुए l
विश्वास करो!
बेवफ़ाई किसी के चेहरे से थोड़े ही दिखती है,
और वफ़ा का कोई चेहरा नहीं होता ,
नहीं होता कोई ऐसा जो सिर्फ तुमको चाहे तुमको खोजे बेवजह,
नहीं होता कोई मुझ जैसा प्यार में सर फिरा l
विश्वास करो!
तुम तड़पोगे, रोओगे, बिलखोगे
पर वो नहीं देखेगी मुड के,
एक बार आगे चले जाने के बाद,
तुम्हारे हज़ार दफा बिखर जाने के बाद l
विश्वास करो!
विश्वास मत करना कभी,
बोले तो भी,
फिर से कहता हूं,
रिश्ते कमज़ोर होते हैं , झूठे होते है
तो बस मत करो विश्वास ,
तो ही सब सही है !!!

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12 JAN AT 1:44

हाफी तू हर बार सही कैसे है?
दिल टूटे फिर भी बात सही कैसे है?
तुम बोलो तो मैं "ना" बोलू,
वरना तुम्हारी मोहब्बत को इंकार भला कैसे है?

मैं रुकता हूं मुड़ता हूं तेरी ओर,
रस्तों से इनकार भला कैसे है?
तुम जाओ तो मैं भी पीछे आऊं,
तम्हारे साथ गुम होने में इंकार भला कैसे है?

मैं कहां वो कहां वो शख़्स कहता है,
मनाही मेरी हर बार दफा कैसे है?
मै सही नहीं इस मोहब्बत के जानिब हो सकता है,
फिर भी तू हर बार सही हाफी इंकार भला कैसे है?

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27 DEC 2023 AT 7:51

चलो अब भूल जाओ मुझे,
पी कर नहीं होश के जानिब हूं,
ये किस तरफ कर लिया तूने फिर मुंह अपना?
अब तो मैं तुम्हारे हर तरद्दुद से वाक़िफ़ हूं I
जानकार तो मैं नहीं इतना इश्क से लेकिन,
आगाह हो गया हूं मैं तेरी हर नियत से वाक़िफ़ हूं l

चलूं किस राह पर काफ़िर सारे एक लगते हैं,
जो पकडूं हुस्न का दामन एक ना नेक लगते हैं,
अपरिचित रूह से लेकिन शनासा रास्ता तो है,
बेवफ़ा हो तुम ख़ुदा सब जानता तो है,
डूबी कश्तियां कितनी पर ये बात मेरी है,
बेखबर कब्र मै अपनी खोद लूं, वो मानता तो है l

बदल दूं शौक़ मैं अपने मोहब्बत साज़ होगी क्या?
जो मैं छोड़ दूं दामन वो नाराज़ होगी क्या?
खफा लगती तो नहीं है वो शक बस इतना है,
बोल दूं सच अगर उसको रास्ते बात होगी क्या?
और वो तो खुद यही मनसूबे साथ रखती है,
बिखर जाऊं मैं पूरा ही इरादे साफ रखती है,
दो बातें और कहता हूं फिर यही अंत करते है,
खुले जितने थे दरवाज़े दिलों के बंद करते हैं l

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24 SEP 2023 AT 20:12

मेरी नाकामियों का कोई जरिया नहीं था,
मैं टूटा था सब ही, पर दिखता नहीं था ।

मजबूर, बेबस, लाचार क्या ही होता है,
मेरे जैसे बर्बाद को कोई शब्द ही नहीं था।

वो गलियां, रास्ते , वो कूचे अब भी वहीं हैं,
पर मैं अब नहीं वहां उसे दिखता नहीं था।

अधूरे किस्सों में कुसूर किसका है,
इल्म थी उसे बस उसे साथ रहना नहीं था।

बादलों से बिछड़ा , बूंदों-सा गिरता मैं,
अपना सब खो कर भी कुछ कहता नहीं था।

खैर जो भी हो , मैं नहीं हूं साथ उसके पर
सुनना सब था उसे बस कुछ कहना नहीं था।

मैं सह भी लेता नुकसान अपना काफ़िर पर,
उसने कहा, उसे इस मोहब्बत से कुछ लेना-देना नहीं था। .....२

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2 AUG 2023 AT 11:07

टूटता हूं कुछ इस तरह मैं,
पक्की सड़क जर्जर हुई हो जैसे!
गुजरना मुश्किल लगता है अब तो,
रास्तों पर पड़ी दरारें तो यही कहती हैं।

क्या कहूं और किसको दोष दूं?
वक्त लूं या सब कुदरत पर छोड़ दूं!
वास्ता किससे था किसका क्या पता,
तुम कहो तो आंखें मूंद लूं और सब का सब छोड़ दूं।

तुमने कहा हक़ नहीं है, कैसे?
तुम्हारे मेरे बीच रिश्ता ही नहीं था जैसे!
माना मैंने दिन, महीने, साल कुछ भी नहीं,
तो फिर होता क्या है, वही बता दिए होते।

अब उन रास्तों का क्या करना है बता दो?
सही करना है या तोड़ना बता दो?
बेसुध हूं उठ भी नहीं सकता,
कब आओगी मिलने एक ख़बर भिजवा दो।
बस एक ख़बर भिजवा दो।।

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6 JUL 2023 AT 13:06

रातों को जागना और तुझसे बात करना,
दो लब्ज़ मुहब्बत के और फिर सो जाना,
जानता है ये दिल की हर नाकाम कोशिश,
सपनों का बनना और फिर बिखर जाना।

रातें बात करती हैं मानो झात करती हैं,
टूटे नींद से पूछो कैसे बरबाद करती हैं,
तुम्हारा रात में मिलना कैसे खैर हो काफ़िर,
मेरी खैर को कैसे जला के राख करतीं हैं।

तुम अपनी बोलो कैसे नींद आती है?
चढ़ती सांझ को कैसे मेरी याद जाती है?
मेरा तो अब भी वैसा है तुम्हारे साथ जैसा था,
ना तब ही जाती थी, और ना अब ही जाती है।

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19 JUN 2023 AT 2:48

अजी; सब कुछ हार बैठा हूं मैं,
कफ़न बची थी साथ लाया हूं।
किफायती नहीं रहा मैं तमाम उम्र,
थोड़ी राख बची थी बांध लाया हूं।।

जो अगर न कर सको यकीं मुझ पर
बेशक मत करना,
थोड़ा सुन लो दो बात लाया हूं।
रिश्ते-नाते, इश्क़-मुहब्बत जो कुछ भी था,
दफा किया सबको, खाली हाथ आया हूं।।

खुदा ही जाने कब मैं था और कब नही,
टूटे सपने, खाली यादें, रोता दिल बिसार आया हूं।
खाली पड़े हैं सारे कमरे भी,
जो था सब खैरात में बांट आया हूं।।

अंतिम सफ़र, अंतिम बारात लाया हूं,
थोड़ा तुम रो लो, मैं भी क्या उम्मीद लाया हूं !
खफ़ा मत होना, अब मैं और साथ नहीं,
दूर पड़ा जल रहा हूं, ये जुगनुओं की रात नहीं।
ख़ाक हो जाऊंगा कुछ पल और देदो,
हो गया खत्म सबकुछ, लो उठाओ और बटोर फेंको - २

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8 JUN 2023 AT 11:46

जिन्दा तो मैं तब भी नहीं था मुहब्बत में,
जब 'अदम-ए-हाज़िरी थी तुम्हारी, मैं अकेले,
मैं अकेले ही तो चल रहा था तब भी,
और तब भी तुम किसी ख्याल में थे।
'अज़्म की खबर थी मुझे तब भी अब भी,
पर मैं हारिस तुम्हारी प्यार में बेसुध हुआ बैठा रहा,
अब तो,
खुद ही छोड़ दिया साथ मेरा रूह ने,
जो जलता मैं साथ चलता रहा।
मैं ग़ारिस हूं मैंने प्यार बोया है,
तुम बारिश हो तुमने सब डुबोया है,
ला-क़ैद करना था न तुमको मेरी मुहब्बत से,
बे-वारिस करना था न मुझे,
लो हो गया, जहां मैं खत्म, सब खत्म ! - २

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27 MAY 2023 AT 5:02

झूठ नहीं बोलूंगा आज तुमसे,
हां है मोहब्बत तुमसे, बेशुमार - बेइंतहा
फिकर भी है तेरी, बेशुमार - बेइंतहा
हर ख़बर है तेरी,
इंतज़ार भी है तेरा, बेशुमार - बेइंतहा ।
चश्म-बरह हूं, मौन हूं
तेज़ हूं घर की ओर, ज़ोर पूरी है।
इम्कान है क्या, तुम आओगी?
या बस बहाने बनाओगी?
वुजूब है, तुमको आना ही होगा
बारिश आ रही है,
थोड़ा गीला इश्क़ साथ लाना ही होगा,
शर्म कैसी मुझसे ?
कोई गिला शिकवा भी है क्या?
मुहाल को आसां करो, ये बताना ही होगा।
हम इश्क़ में हैं, ये कोई छोटी बात नहीं
अभी आ जाओ, ये तो आधी रात नहीं
क्या है, कैसा है बैठ के गुफ्तगू कर लेंगे
क्या तुमको अब खुद पर भी इख़तियार नहीं?
बाज़ार से कुछ समोसे लाया हूं,
तुम आओगी इस भरोसे लाया हूं,
चली जाना लेके इसे इतना ही समय देदो,
सब खैरियत है इतना संदेश भेजो,
आओ भी ज़वाल हो चला है,
कदम इधर फेंको, मुझपर सवाल हो चला है
कर दो पूरी ये आस भी,
रुक जाए ये थकी आंखें, इतनी सी बात थी।।

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19 MAR 2023 AT 9:34

मैंने प्यार भरा था आंगन में,
खुशबू कैसे दबी रही?
बिछौने पर तो इत्र भी थे,
कैसे बदन तुम्हारे लगी नहीं??
मैंने ख़बर-दहिंदा रखा था,
जो कल भी था और आज भी है,
बज़्म सहारे छिप निकले तुम,
वो फरेब नकाबी आज भी है।।
मैं वहीं किनारे बैठा हूं,
जहां हदफ़ निशानी करते थे,
कहा मुर्तसिम सूरत तेरी,
उस हदफ़ बनाकर बैठे हैं।।
मैं निशाने का तो ठीक नहीं,
पर बात बराबर चलती है,
तुम क्या जानो दर्द मेरा,
ये रात कहां अब ढलती है ।।

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