मैं वही सांवला कृष्ण सा हूं..... तुम मेरी राधा बनोगी क्या? मैं करता इंतजार शिव सा..... तुम पार्वती सा प्यार करोगी क्या? अब हूं मै बनारस की घाट सा..... तुम बहती हुई गंगा बनोगी क्या? घूमने का शौक मुझे है बहुत..... तुम साथ मेरे केदारनाथ चलोगी क्या?
राधाकृष्ण का भक्त हू मै..... तुम वृंदावन में मेरे साथ बैठोगी क्या? अब हु अधूरा कवि सा मैं..... तुम मेरी पूरी कविता बनोगी क्या ? पल पल में टूट जाता हु मै..... तुम मुझे संभाल पाओगी क्या? करता इश्क बेहिसाब हु मै मोहतरमा..... करता इश्क बेहिसाब हु मै मोहतरमा,,