भावुक हुं, भावों का अभाव है
कातर, शुष्क नैनो में सैलाव है
उसकी हसी के, उसकी खुशी के
चरम को छूने की चेष्टा में,
अपनी, नजरों में अकसर गिरता हुं
ले लो, अगर तुम भी चाहो तो,
अब मैं एहसान बेचता फिरता हुं......
अब मैं एहसान बेचता फिरता हुं......-
चाहत लिए बैठे हो की हर कदम तुमको समझूं में
ए यार मेरे कभी मुझको भी तो जरा समझो...
जिन जिन की जिंदगी दोजक है मेरे वजूद से
खुशनसीबों अब से अपने लिए मुझे मरा समझो...-
जो कुछ भी है होन लागरया उसमे तेरी मर्जी थी
रेण दो थे मने अकेला या ई तेरी अर्जी थी
में तेरी बात है मानी, तूं ही केया मेर ते बात ना कर
जा सोच लिऐ जो मेर दिल में थी वे फीलिंग सारी फर्जी थी।।
तन तेरा अकेलापन मुबारक हो 😘😘
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नां कर यार तूं इश्क गी बातां
आंगो कोई सार कोनी।।
सब ध्यान है यार तूं ना चरा मन
में इतो भी गंवार कोनी।।
कुछ पहला कदी सुन्यो में
कुछ तूं पक्को बता दियो......
दोस्तां ऊं दोस्ती करीजे मांडा
करीजे बाऊं प्यार कोनी।।।
करीजे बाऊं प्यार कोनी।।।-
दोस्त, मां बाप सब होया करे बहनां...
बिगड़ी ऊं बिगड़ी जिंदगी सुधार दिया करे।।
ए बाकी दुनिया तरह मतलबी कोनी होवे...
दुनिया तो थोड़ो सो प्यार भी उधार दिया करे।।
भाई भलांई करे वादा हजार रक्षा गा
दिल ऊं निभावन आली बहनां ई होया करे ....
कलाई में बंधेड़ी रखड़ियां गो भार...
दिल गा सारा बोझ उतार दिया करे।।।
दिल गा सारा बोझ उतार दिया करे।।।-
इस अधजली सी दुनिया में फूकने को दिल सिर्फ मेरा है।
अकड़ से तनकर खड़े है सब झुकने को दिल सिर्फ मेरा है ।।
सबकी आंखों में है हर्ष भरा सब प्यार में खोए बैठे है ..
इस बेदर्द सी दुनिया में बस दुखने को दिल सिर्फ मेरा है ।।
इस बेदर्द सी दुनिया में बस दुखने को दिल सिर्फ मेरा है ।।-
किसी को याद कर यूं अकेले भटकना भी जायज लगे
आज इन आंखों में दो अश्क आ भी जाए तो अचरज नहीं
ये दुख नहीं, न ही विरह, ये सजा है उस कर्म की
दोस्ती को मोहब्बत समझने की गलती जो कर बैठा हूं।।-
कुछ तो जरूर अलग है रे यार तुझमें
वरना इतनी बातें तो में ना करता हूं
देखू जब भी तेरे लिखे शब्द मेरे फोन में
इक अजीब से सकून की सांस भरता हूं
इक अलग ही खींचाव है तेरी शख्सियत में
चेहरे में नूर भी माशाअल्लाह कम नहीं
मेरे जैसे का मन मोह जाए इक पल में ही
तेरे अलावा किसी ओर की hi-hello में इतना दम नहीं
It's for you dear😚😚
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सोचा लिख दूं कुछ अल्फाज में उसकी भी तारीफ में
जिसने तारीफ करी मेरे लफ्जों की .......
तेरी तहरीजें जो बचकाना सी वो सबका मन मोह जाती है
दिल बड़ा है मगर बच्चा है तेरी आंखें यह कह जाती है।
बातें मामूली और खास भी तूं हर तरह की कर सकती है
और कुछ बातें करती ऐसी भी जो दिल में घर कर जाती हैं।।
जो तुझ को बयां कर पाए पाया ऐसा कोई अल्फाज नहीं
तुम खुद अपनी तारीफ है तुम लफ्जों की मोहताज नहीं
तेरा खुद का एक रुतबा है तेरी खुद की एक पहचान है
तेरी आंखे इतनी गहरी है कैसे कह दूं इनमें कोई राज नहीं...
कैसे कह दूं इनमें कोई राज नहीं ।।।।।
सोचा लिख दूं कुछ अल्फाज में उसकी भी तारीफ में
जिसने तारीफ करी मेरे लफ्जों की ......
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