Kumar sundram   (कुमार सुन्दरम झा)
24 Followers · 18 Following

read more
Joined 25 February 2020


read more
Joined 25 February 2020
6 HOURS AGO

मुझे एक पल याद हैं,
एक नज़र याद हैं
वो वक़्त याद हैं,
जो पलट कर देखा था
बस वो एक शख्स याद हैं,
हैं कोई अपना सा मगर
उसको याद हो ना हो ,
मुझे उसका पलट कर देखना याद हैं!!!!!

-


1 DEC 2024 AT 1:28

एक दल-दल सा दरिया समेटे हुए,
सारी खुशियों को दिखा कर तकलीफ को समेटे हुए।
एक छोटी सी मुस्कान के साथ,
दर्द के समंदर को पीते हुए।

मिट्टी के दीये सा अंधेरों में जलता रहा,
अपनों के लिए खुद को ही पालता रहा।
सपनों के जहां में ज़ख्म छुपाए हुए,
हर तूफान का बोझ उठाते हुए, सबको बचा के समेटे हुए।

हर मोड़ पर एक नई चाह लाई,
ज़िंदगी ने फिर एक नई राह दिखाई।
चुपचाप अपनी कहानी लिखते हुए,
अपने सपने गुमनामी में समेटे हुए।

-


25 NOV 2024 AT 0:01

सोचते सोचते कही वक्त ना निकल जाए,
दिल के अरमान कहीं धुंधला ना पड़ जाए।
ज़िंदगी के सफर में कुछ तो पल जी लो,
वरना खुशी का रुख भी ना बदल जाए।

सपनों के पीछे यूँ ना भटक जाओ,
जो हाथ में है, उसे ना गवां जाओ।
कल का इंतजार करते करते,
आज का नूर कहीं छुप ना जाए।

छोटी सी ज़िंदगी है, मुस्कुरा के जी लो,
हर लम्हा अपने रंग में रंग दो।
सोचते सोचते जो रह गया अधूरा,
वही कहानी किसी दिन अफसाना ना बन जाए!

-


10 JUN 2024 AT 15:08

मौत तो मुकम्मल हैं
एक न एक दिन तो आनी हैं,
ज़िन्दगी तो रंगीन है
फीकी तो पड ही जानी है,
अपने, पराए, प्यार, यार, दुश्मन, दोस्त...
सब रूठ जाते है
सब छूट जाते है,
सब जंग जीत कर भी
तो हार ही जाते हैं!!!

-


4 MAR 2024 AT 13:10

एक भीड़ थी प्रतिद्वंद्वियों की
एक टुकड़ा था अपनो की,
एक तरफ थी टोली भीड़ों की
एक और थी छोटी सी टुकड़ी,
एक युद्ध था हर दिल मे
बस आश थी अपनो में,
वीरो के पग कांप रहे थे
पर चेहरे पे मुश्कान लिए लड़ रहे थे,
राश न आई टुकड़ों की ये तिक्रम,
दुश्मन रह गए बस टक टकी लगाए,
हार गई टोली भीड़ों की बस इस चिन्तन में
की ये मुशकुराये ही क्यों थे?

-


31 JAN 2024 AT 12:13

बस एक इम्तिहान हैं
तेरे मेरे दरमियाँ,
वरना
सीखने में देर नहीं लगती हैं!!!

-


2 OCT 2023 AT 23:40

आज फिर चाहत का इज़हार हुआ,
इस चाँद के नीचे फिर तेरा दीदार हुआ,
इन कोमल हाथों से पत्ती को सहलाकर,
आज फिर प्यार का एहसास हुआ!!!!!

-


16 FEB 2023 AT 1:00

हम रुकते हैं किसी के लिये,
तो वो आगे निकल जाते है!
देते हैं साथ जिनका,
वो वक़्त पे रंग दिखा जाते है!
कुछ खामिया होती हैं सब मे,
वो उनका गुणगान कर जाते हैं!
जब आती हैं बात ख़ुद की,
तो अपनो को भूल जाते हैं!
जो चल न सके वक़्त के साथ,
वो वक़्त का ज्ञान दे जाते हैं!
और वक़्त पीछा नही छोड़ता हैं,
हम वक़्त को छोड़ जाते हैं!!!!!

-


2 FEB 2023 AT 1:19

कुछ न कुछ तो रह ही जाता हैं,
कुछ न कुछ तो हर कोई कह ही जाता हैं,
ज़िन्दगी है जी लो,
वरना मरने के बाद कहाँ कुछ रह जाता हैं,
और रहा प्यार तो मरने के बाद हर किसी को हो ही जाता हैं!!!!!

-


3 JAN 2023 AT 14:27

चाँदनी रात में,चाँद का दीदार हुआ था...
दिल दे कर,आंखों से इज़हार हुआ था...
वो मेरे सामने थी,लब चुप थे,
जैसे सारी बातें आंखों से हुई थी.....
उनको लिए बाहों में, कम्पन थी हमारी राहों में...
पढ़ लिया था उनके चेहरे का नूर,
जो कह रहा था अब न तू जाना मुझसे दूर!!!!!

-


Fetching Kumar sundram Quotes