तुम से बात किये ज़माना हो गया
और मोहब्बत देखो हमारी,
आज भी शायरियां लिख रहें है,तुम्हारे लिए !!
❤️💔
(Last Call 7 जनवरी 2017)-
Poet, Student,
Ex-Student NAVODAYA VIDYALAYA.
@दास्ताँ-... read more
अलविदा 2021
साल 2021 का जितने गर्मजोशी के साथ स्वागत किया था, उन अनुरूप हद तक अच्छा रहा मेरे लिए। कुछ पुराने और अच्छे दोस्त से पुनः एक बार मिला इस साल। कुछ बुरी यादें भी साथ रही,लेकिन मेरा मानना है कि कुछ बुरी यादें भी हमें आने बाली जिंदगी के इम्तिहान के लिए तैयार करती है। इस साल भी कोरोना-काल में जहाँ सभी लोग घर मे खुद को नज़रबंद कर लिया!उस नज़रबंद के दौरान मुझें खुद को समझने और अपने जीवन में मसरूफ़ियत होने,एवं नज़रबंद समय को सदुपयोग करने का अवसर मिला!
इस साल के नज़रबंद के बाद एक के बाद एक 4 यात्रा करने का मौका भी मिला,इस यात्राओं में चंचलमान यात्रिमन को कुछ नया जगह और बहुत कुछ सीखने को भी मिला।
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तुम्हारा सजदा पूरा हुआ,देखों मैं काफ़िर हुआ,
तुम्हारे प्यार में पड़ कर,देखों मैं शराबी हुआ।।-
तुम्हे खुद पे जोम है कि तुम खूबसूरत हो,
यह तुम्हारा वहम है और कुछ भी नही।
वो एक पागल लड़का है जो तुमसे मोहब्बत करता है,
वो उसका वहम है और कुछ भी नही।।-
पहली बार कक्षा 11 में देखा था,
सौंदर्य रूप,सुशील कला से भरपूर,
किताबों को गले लगा कर के,
माँ सरस्वती की उपासक सी,
वो होस्टल बाली लड़की थी।।
वो चंचल काया सी,
वो मृग नैनी छाया सी,
वो रूपवान,वो गुणवान,
वो मंद मुस्काती माया सी,
वो स्वर्गलोक कि अप्सरा,
वो मृत्यु लोक में प्यारा,
उसकी चाल हिरण सी,
उसकी बाल ऋचा सी,
हाय! इस स्वर्गलोक कि अप्सरा को,
किस राक्षस की नजर लगी,
नजर कहें,या कहें श्राप ?
जो भी लगी पर दुःखद लगी ।।
वो होस्टल बाली लड़की,
जो अपने प्रतिभा पर,
मादक-मोद मनाती थी,
वो अब चुप रहने लगी,
अपने मे गुम होने लगी।।
कुछ घर का सोच,
कुछ समाज का सोच,
वो अब चिंतित सी रहने लगी,
फिर!एक नया सबेरा निकला,
वो खुद से बोलने लगी मैं!..।।
मुश्किलें जरुर है, मगर ठहरी नही हूं मैं
मंज़िल से जरा कह दो, अभी पहुंची नही हूं मैं
कदमो को बांध न पाएंगी, मुसीबत कि जंजीरें,
रास्तों से जरा कह दो, अभी भटकी नही हूं मैं।।-
इधर मेरा घर उजाड़ा जा रहा है,
उधर किसी के मौत का मातम मनाया जा रहा है।
यहाँ का सियासत अब रकाशा के समान है,
और, यही के खबर में अब सियासत चलाया जा रहा है।।
(रकाशा:-बाजारू,वैश्या)-
वो रात बे-पनाह थी और मैं ग़रीब था,
कल मुझ से मेरा चाँद बहुत ही क़रीब था.!
हर सिलसिला था उस का ख़ुदा से मिला हुआ
ये ख़्वाब है या वाक़ई मैं ख़ुश-नसीब था.!!-
मुझ को रुख़्सत होना है मेरा सामान तैयार करो,
कुछ मन जाने नहीं देता जब तुम प्यार करो.!!
#सेवानिवृत्त #सुरेश रैना-
पराधीनता से स्वाधीनता का प्रशस्थ पथ है 15 अगस्त,
माँ भारती पर निछावर महान लहू है 15 अगस्त,
बिसमिल्लाह की शहनाई से आजादी के जयघोष,
विश्व सम्राट बनने का जिंदा उम्मीद है 15 अगस्त !!
#स्वतंत्रता दिवस-