Kumar Sonu   (Kumar✍️)
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Joined 14 April 2020


Joined 14 April 2020
28 AUG 2021 AT 22:28

जिसका होना क़भी मेरे मुस्कुराने की वजह था !
मेरी ख़ामोशी की आज वो सबसे बड़ी वजह है !!

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6 AUG 2021 AT 20:14

एक शब मैं औऱ तुम इस तरह मिले !
के वो शब हमें फिर कभी ना मिले  !!

मैं दीदार तिरा कुछ इस तरह से करूँ !
के तुझ जैसा हसीं मुझें फिर ना मिले !!

तेरी जुल्फों को इस तरह सुलझाऊँ मैं !
के हवाओं को उसकी ख़बर ना मिले !!

बसा लूँ तुझें फ़िर अपनी नज़रों में यूँ !
फ़िर कभी तुझें किसी की नज़र ना लगे !!

औऱ सिमट जाओ मेरी बाहों में तुम ऐसे !
के बहार-ए-चमन को तिरी ख़ुशबू ना मिले !!

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5 AUG 2021 AT 21:32

एक तस्वीर सी वो मेरे ख़यालों में है !
के बड़ी उलझन सी मेरे सवालों में है !!

मैं यादों में रहूँ तो ये जहां भूल जाऊँ !
कुछ ऐसा नशा-सा उसकी बातों में है !!

उसके आगे सब-कुछ फीका सा लगे !
कुछ ऐसी चमक उसके गालों में है !!

एक अलग तिलिस्म है उसकी आँखों में !
इस तरह से वो  मेरे  हर ख़्वाबों में है !!

लिखने बैठु तो ये जमीं कम पड़े कुमार !
वो लड़की इस तरह मेरे अल्फाज़ो में है !!



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3 AUG 2021 AT 21:54

फलसफा ज़िन्दगी का मुझें समझा गया कोई !
मैं क्या हूँ अब मुझे ही ये बतला गया कोई !!

मेरे सवालों का जैसे अब कोई जवाब ही नहीं !
मेरी जुबाँ को जैसे ख़ामोश करा गया कोई !!

मैंने रातो से लड़कर ख़ुद की नींदे चुराई है !
हुआ यूं के अँधेरों में मुझें जुगनू दिखा गया कोई !!

वो क्या समझेगा मेरी बैचेनी का जिसे इल्म नहीं !
अच्छा बता कर मुझें ही बुरा बना गया कोई !!

वास्ता देकर जिसे में बुलाता रहा उम्र-भर के लिए !
अपना बनाकर अज़नबी मुझें बना गया कोई !!




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31 JUL 2021 AT 21:45

मेरे ख्यालो के अब वो जर्रे-जर्रे में है.…
जिसका हक़ीक़त से अब कोई वास्ता नहीं...

मैं धरती तो वो दूर नील-गगन सा मुझ में है....
मेरे दरिया का जैसे वो किनारा नहीं....

देखा करता था जिस चाँद को अपनी मुडेर से कभी....
आज समझ आया उस पर हक़ हमारा नहीं....

जिसे निहारा था जुगनुओं की रोशनी में कभी....
अब ये जाना के लकीरों में साथ हमारा नहीं.....

जो आते थे सुन्हेरी यादों में लिपटे ख़्वाब मुझें...
के मालूम हुआ अब वो घर हमारा नहीं.....

जो बुने थे नींदों ने ख़्वाब किस्सों के सहारे...
वो पन्ना मेरी क़िताब का तो है पर हिकायत का नहीं....

                                               

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27 JUL 2021 AT 20:40

हाँ शायद मुझें भी प्यार हो गया !
बेपनाह बेइंतहा बेशुमार हो गया !!

पहले न-था जैसा अब हुआ है !
न-जाने किस का खुमार हो गया !!

तसव्वुर में जो था रुख़सार कभी !
ख़्वाबों में उसका दीदार हो गया !!

हरसू वो रहता है इत्र सा साँसों में !
दिल भी उसी का तलबगार हो गया !!

यूँ तो अब कोई मेरा हैं नहीं कुमार !
मैं ख़ुद का ही जैसे राज़दार हो गया !!

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24 JUL 2021 AT 2:53

Don't make feel anyone that he/she is...
someone/special for you....
If you do then don't change...
your way of treat....With them....
Coz maybe it's just a tiny thing for you...
But for them it's sea change....
And then...they will break.....
You can't get back them...
As you met with them....

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24 JUL 2021 AT 2:16

जब ख़ामोशी औऱ लफ्ज़ बेअसर होने लगे !
तो समझो शक़्स औऱ दौर तुम्हारा रहा ही नहीं !!

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23 JUL 2021 AT 23:35

If someone don't wanna lose you.....
Doesn't mean he/she has to pay....
own self respect for it.....
you should also respect his/her and their words.

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23 JUL 2021 AT 23:08

मेरे लफ्ज़ मेरे होते ही कहाँ है.….
ये आईना है लोगो के एहसानों का मुझपर....

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