मैं खून से लतफत काया हूँ
बंदूक उठा के आया हूँ
धड़-धड़ गोली मारूंगा
खड़ा मौत ललकारुँगा
डर डर के तू भागेगा
मैं फिर भी पीछे आऊँगा
तू चीख चीख चिल्लायेगा
प्रलय राग मैं गाऊंगा
कल की धूमिल खाक तू
मैं आज की आवाज हूँ
मरा हुआ है मुर्ग तू
मैं हवा चीरता बाज हूँ
गाँधी की बोली मैं
आजाद की गोली मैं
दिल में जिसके भगत सिंह
वो सुभाष की टोली मैं
भौकाल मचा है युद्ध भूमि में
रक्त की प्यार बुझाने को
भारत माँ का लाल खड़ा
है तेरा शीष चढ़ाने ने को
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