जहां अपनों में गाया नहीं जाता,
वहां गैरों से रिश्ते कैसी।-
कहीं पर पढ़ लिए तुम बिन,
कहीं पर लिख लिए तुम बिन।
भरी Classroom में भी अक्सर,
अकेले हो लिए तुम बिन।
ये पिछले चंद दिनों की
खामोशी साथ है मेरे।
कभी तो ईश्क कर लिए तुम बिन,
कभी फिर गम छुपा लिए तुम बिन।-
जब - जब जश्न - ए - जीत हमारी होगी
तब - तब गम - ए - हार तुम्हारी होगी।
मत कर इतना अभिमान तू आतंक - ए - पाक पर
बन जाएगा कब्रिस्तान तू जब करेगा वार फ़ौज - ए - हिंद पर।
बार बार माफ किया है तुझे हिंदुस्तान के फौजों ने
भुखमरी ला दी थी पाकिस्तान में 1971 के लड़ाई ने।
फिर कभी तुम कश्मीर मांगने की भूल मत करना
छीन लेंगे लौहर तुमसे हमारी औकात की बात मत करना।
इंतजार कर तू उस दिन का,
जिस दिन फिर हर एक हिन्दुस्तानी का गर्म - ए - खून होगा
उस दिन फिर सर्जिकल स्ट्राइक नहीं खत्म - ए - पाकिस्तान होगा।
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ईश्क - ए - बेताबी क्या होती है,
मत पूछो हमसे।
दर्द - ए - हाल क्या होती है,
मत पूछो हमसे।
हम तो बंदे हैं, CIVIL इंजीनियरिंग के
और लैला - मजनू के किस्से क्या होती है,
मत पूछो हमसे।-
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देखा था जब पहली बार तुझे
वो दिन याद नहीं मुझे
पर कुछ कुछ हुआ था मेरे दिल में
ये अभी तक जहन से गया नहीं
और घायल हुआ था इस कदर मैं
की दर्द अभी तक दिल से गया नहीं।-
क्या मैं पढूं, क्या मैं लिखूं
जिसके साथ पढ़ता था वो तो यहां है नहीं।
और ये 5 से 6 घंटे पढ़कर मैं क्या करूं
जब सर पर Exam है नहीं।
अब इतनी बड़ी Syllabus से क्यूं डरूं मैं
जब मुझे टॉप करना है नहीं।
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हमारी Classroom में तीन - तीन बोर्डे हैं,
Black bord, White bord and Smart bord
पर मेरी नज़रों को एक ही पसंद है,
वो है Smart bord.-
ना तो मैं रंगबाज था
ना ही इश्कबाज था
ये आंख चल गया था किसी पर
और उसी वक्त से वो मेरा ख़्वाब था।-