Kumar Saurabh Tiwary (शुभ)   (✍_सौरभ तिवारी(शुभ))
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Joined 21 June 2019


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Joined 21 June 2019

प्यार सबको आजमाता है,

16108 रानियों वाला राजा, एक राधा को तरस जाता है!!

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प्यार सबको आजमाता है,

16108 रानियों वाला राजा, एक राधा को तरस जाता है!!

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प्यार सबको आजमाता है,

16108 रानियों वाला राजा, एक राधा को तरस जाता है!!

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प्यार सबको आजमाता है,

16108 रानियों वाला राजा, एक राधा को तरस जाता है!!

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क्यूं टूटा है अंदर अंदर,
क्यूं चेहरा कुम्हलाया है,

तन्हा तन्हा रोने वाले,
कौन तुम्हे याद आया है!!

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कुछ और कदम मुझे जिस्म को ढोना है यहां,
साथ लाया हूं उसी को जिसे खोना है यहां;

भीड़ छंट जाएगी पल में ये खबर सुनते ही,
अब कोई और तमाशा नहीं होना है यहां;

ये भंवर कौन सा मोती मुझे दे सकता है,
बात ये है कि मुझे खुद को डुबोना है यहां;

क्या मिला दश्त में आकर तेरे दीवाने को,
घर के जैसा ही अगर जागना सोना है यहां;

कुछ भी हो जाए ना मानूंगा मगर जिस्म की बात,
आज मुजरिम तो किसी और को होना यहां;

यूंही दरकार है मुझको किसी बीनाई का लम्स,
अब किसी और का होना मेरा होना है यहां;

अश्क पलको पे सजा लूं मैं अभी से 'शुभ'
शब है बाकी तो तेरा ज़िक्र भी होना है यहां!!

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फसाना अब कोई अंजाम पाना चाहता है,
ताल्लुक टूटने का इक बहाना चाहता है;

जहां इक शख्स भी मिलता नहीं है चाहने से,
वहां ये दिल हथेली पर जमाना चाहता है!!

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कभी धोखा बनें कोई कभी तलवार हो जाए,
यही ख्वाहिश है हर रिश्ते में हम दीवार हो जाए;

तुम अपना हुस्न जो गिरवी रख सबसे इश्क लेते हो,
करोगे क्या जो बेईमान साहूकार हो जाए;

अदब से वो उठाएगी, पढ़ेगी गौर से हमको;
ये सब होगा अगर हम सुबह के अखबार हो जाए;

हमें उस जिंदगी में रंग भरना था मगर उसको,
गवारा ये नहीं कि हम गम के हिस्सेदार हो जाए;

तेरे होंठो का सूखापन अगर बस देख लें तो फिर,
कई काफिर गली के तेरे रोजेदार हो जाए!!

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आंखे झूठ, नजारा झूठ, यानी जो है सारा झूठ;

हमको आज कहो फिर अपना बोलो आज दोबारा झूठ!!

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जहां पंखा चल रहा है वहीं रस्सी भी पड़ी है,
मुझे फिर ख्याल आया अभी जिंदगी पड़ी है;

ऐ बड़ी हवेली वाले! यहां सिर्फ मैं नही हूं,
मेरे जैसे बेघरों से ये गली भरी पड़ी है;

अगर इस तरफ हो आना तो खुशी से लेके जाना,
किसी कोने में जरा सी तेरी दोस्ती पड़ी है;

मेरी दास्तान-ए-गम में मत उड़ेल दुनियादारी,
मैं ये जहर पी रहा हूं, तुझे चाय की पड़ी है !!

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