11 MAY 2018 AT 11:01

कुछ बात हमारी बाक़ी है, कुछ अल्फ़ाज़ अधूरे बाक़ी है,

कुछ साँस मिलानी बाक़ी है, कुछ आवाज़ लगानी बाक़ी है,

कुछ मिलना - मिलाना बाक़ी है, कुछ हँसना - गाना बाक़ी है,

कुछ प्यार पुराना बाक़ी है, कुछ तेरा मुस्कुराना बाक़ी है,

मेरी हस्ती तुझमें बाक़ी है, इक्क संगी-साथी बाक़ी है,

यह इश्क़ ना हुआ मानो कोई ज्ञान हुआ.....

जिसमें मँझधार में जाना बाक़ी है, और पार लगाना बाक़ी है।

- कुमारसंभव सिंह