हाँ तो खेल लिया मेरे साथ,
किए थे जो वादे कर दिया उन्हें झूठा
चलना था अभी तो बहुत दूर, राह अकेला छोड़ दिया
कहा जाना था, मंज़िल क्या थी सोचा ही नहीं
बस हाथ पकड़े चला जा रहा था
उस बच्चे की तरह जो माँ का आँचल पकड़े चलता है
कह तो दिया नहीं मिलेंगे, पर जो मिले तो क्या
कहा नज़रें छुपाओगे, कैसे सामने से गुजर जाओगे
आंसू तो ना आने दूँगा आँखों में, दिल रोया तो ना रोक पाऊँगा
चला भी जाऊँगा तुमसे दूर, पर बिन तेरे जी ना पाऊँगा।
लौट आओगे अगर फिर पाने तुम
लिखे हुए अक्षर समन्दर की लहरों में बेह जाते हैं
तुम पाना भी चाहोगी तो, छूटी रेत समेट ना पाओगी।।
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