मेरी जाना मेरे दिल की रानी बनना है , तुमको
केवल प्यार नहीं मेरी घरवाली बनना है ,तुमको
पागल ना बन मेरी बाते थोड़ा दिल से समझा कर
मुझ सहजादे की प्यारी सहजादी बनना है , तुमको
और भला कैसे बतलाऊ ज्यादा माथा मत सटका
बोला तो की भाभी की दिवरानी बनना है ,तुमको
यार सुनो, बात हमारी केवल बाबू सोना थोड़ी
मेरा प्यारा सच्चा जीवन साथी बनना है ,तुमको
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©सचिन कुमार साहू
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हमसे प्यार करोगे ना तुम
आंखे चार करोगे ना तुम
दिल में रखने से क्या होगा
क्यो इजहार करोगे ना तुम
हमने सौ सौ बार किया है
इक दो बार करोगे ना तुम
मेरी खातिर सबसे पंगा
बोलो यार करोगे ना तुम
कोई मुझसा प्यार जताये
तो इनकार करोगे ना तुम
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©सचिन कुमार साहू-
प्रेम में
पहुंच कर कोई पुरुष
भूल जाता है
कुछ रिश्तों को , कुछ वादो को
जिंदगी के उन लम्हों को
जिन लम्हों ये वास्तविक जीवन था
और
याद रहता है
सिर्फ
किसी का वर्तमान साथ |kumarsachin|-
तुम्हारी प्यारी आंखो का काजल बन जाऊंगा मै
सुन तुझको पाने की खातिर पागल बन जाऊंगा मै
© सचिन कुमार साहू
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इक मोह जीवन का बहुत भारी छोड़ देता है
कोई साधक जब दुनिया दारी छोड़ देता है
कोई लड़की मुस्कुरा कर देख ले तो फिर
लड़का अपने यारों से यारी छोड़ देता है
रिश्ते जला देता है जो मुद्दतों संभाले गए
यानी बारूद पर खड़े होकर के चिंगारी छोड़ देता है
याद रहता है सिर्फ लड़की के साथ वाला खाना
वो दोस्त के जन्मदिन की तैयारी छोड़ देता है
"सचिन"तुमने तो कुछ नई किया ना , सच है !
मगर गेहूं , घुन बता कर वो यारी छोड्र देता है
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लड़की वडकी ठीकय है , पर
यदि दोस्त छुटय गलत बहुत है
©सचिन कुमार साहू
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किसी का घर जला कर
क्या करूंगा?
किसी के हक का खा कर
क्या करूंगा ?
किसी को दू ,कुचल और पाऊ मंजिल !
इस तरह लक्ष्य , पा कर
क्या करूंगा ?
काल को कल हमारी हड्डियां भी
तोड़नी है
हमे भी कल ये दुनिया
छोड़नी है
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©सचिन कुमार साहू-
गजल
यो दिल है यो उड़त बहुत है
पर परियन पर रुकत बहुत है
घर तो आलीशान बना पर
उसके दिल में रहत बहुत है
जाने कैसा ताज मिल गया?
मन ही मन मा हसत बहुत है
लड़की वड़की ठीकय है पर
यदि दोस्त छुटय गलत बहुत है
"सचिन" समझ लो बात जरा सी
प्यार करत जो फसत बहुत है
सचिन कुमार "साहू"
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गजल
अपना इश्क बताओ उसको
दिल का दर्द जताओ उसको
जो लड़की है ख्वाब तुम्हारा
घर अपने ले आओ उसको
वो तो खुद में ही गुलाब है
ज्यादा नहीं सजाओ उसको
रूठ गयी है , पुष्प चढ़ाओ
जैसे माने मनाओ उसको
समझो मेरी बात सचिन तुम
फिर से फोन लगाओ उसको
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कुमार सचिन "साहू"-
कि तेरा साथ होना औषधी का साथ होना है
बताओ तुम जरा बिन औषधी के कौन जीता है
कुमार सचिन "साहू"-