kumar rakesh   (@kumar_rakesh)
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Joined 26 May 2022


Joined 26 May 2022
30 JUN AT 22:42

फिर तेरी तलब उठी है आज दिल में मेरे
तू एक नशा है, तेरे बिना गुज़ारा मुश्किल

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29 JUN AT 11:55

लम्हा-लम्हा वक़्त गुज़रता कतरा-कतरा जीवन है।
एक उदासी की चादर है चिरनिद्रा में ये मन है।

लेखा जोखा है कर्मों का किसी से कोई गिला नहीं
जिसे शिकायत मुझ से न हो अब तक ऐसा मिला नहीं

समय समय पर छूटे है सब रिश्ते नाते संगी साथी
घर सुना है सुना है मन बिना तेल के जैसे बाती

रोज सुबह ओर शाम का होना समय का चक्र बराबर है
अपना हिस्सा मिलता सबको आदर कहीं, निरादर है

किसी के हिस्से ख़ुशी है आई कुछ को मिली मदहोशी है
मेरे हिस्से बड़ी है दौलत कहते जिसे खामोशी हैं

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29 JUN AT 11:34

बस यही दूरियां तो मुक्कमल करनी है मुझे
लबों पर लब हो इतनी दूरी तय करनी है मुझे

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29 JUN AT 11:31

रविवार का दिन और तेरा ख्याल न हो
तू मिल जाये तो मेरा ऐसा हाल न हो

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28 JUN AT 17:17

एक तेरी फिक्र में हरदम बेचैन रहता हूँ
तू ही ख्यालों में है, दिन रैन कहता हूँ।।

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27 JUN AT 8:45

तन के रथ में हो मन का डोर
रमे रहे सेवा में माँगूँ न कुछ औऱ
दुःख हो सुख हो रहें साथ साथ
प्रेम से सब बोलिये जय जगन्नाथ

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26 JUN AT 9:01

जिस्म होता तो लौटा देता उसको पल भर में
सौदा रूह से रूह का था ये जुदा हो न सका।

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26 JUN AT 8:30

लोगों को महकने के लिये इत्र चाहिए
मैं तो अब तेरे ख्याल से महक जाता हूँ

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24 JUN AT 8:49

तुझे बेवफ़ा कहनें का सवाल ही नहीं
मैंने तुमसे उम्मीद-ए-वफ़ा की ही नहीं

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24 JUN AT 8:46

तुझे कोई इल्ज़ाम मैं दूँ भी तो कैसे
आखिर तू मेरा प्यार है, मैं तेरा नहीं

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