Kumar Pankaj Panchal   (My Indian Literature)
34 Followers 0 Following

read more
Joined 14 August 2018


read more
Joined 14 August 2018
22 JUN 2021 AT 12:54

जो था अमादा बस जागने को
वो आज सोने पर अड़ गया है

ये हमने क्या कह दिया है उसको
खुशी के मारे वह मर गया है

कुमार पंकज पांचाल 'ख़ार'

-


2 JUN 2021 AT 21:55

भावनाओं के भवर में बहते-बहते रह गए।
प्रेम है तुमसे प्रिय यह कहते-कहते रह गए।।
कुमार पंकज पांचाल(ख़ार)✍🏻

-


6 MAY 2021 AT 20:42

ऐसा कब-कब होता है जी ऐसा कब-कब होता है |
जब टूटे कोई भीतर से जी ऐसा तब-तब होता है||

कुमार पंकज पांचाल 'ख़ार'

-


9 APR 2021 AT 18:35

लोगों से
बनवास वापसी पर
जब राम ने पूछा
कैसी बीती?
तो उन्होंने कहा
हमें उलटी तराजू के साथ
दिया गया
और हमसे
सीधी तराजू के साथ
लिया गया।
राम ने कहा
तुम्हारा यह हाल हुआ?
अब भी करने वाले
वही हैं।

लाल सिंह दिल

-


8 JAN 2021 AT 11:17

यहां जीना नहीं आसान कहीं और चलो
हजारों मुश्किलें इक जान कहीं और चलो

वफा और दोस्ती के ख्वाब अबतक देखते हो तुम
नहीं इस युग के तुम इंसान कहीं और चलो

राजेंद्र चाँद

-


21 DEC 2020 AT 9:56

मैं मृत्यु का श्रृंगार करता हूँ
मैं प्राणों का आहार करता हूँ
मैं श्मशान में विहार करता हूँ
मैं सृजन और संहार करता हूँ
कुमार पंकज पांचाल ख़ार ✍

-


24 OCT 2020 AT 22:16

वो बेहिसाब जो पी के कल शराब आया
अगर्चे मस्त था मैं पर मुझे हिजाब आया

इधर ख़्याल मेरे दिल में ज़ुल्फ़ का गुज़रा
उधर वो खाता हुआ दिल में पेच-ओ-ताब आया

ख़्याल किस का समाया है दीदा-ओ-दिल में
न दिल को चैन मुझे और न शब को ख़्वाब आया

बहादुर शाह ज़फर

-


19 SEP 2020 AT 8:35

बहुत कुछ दे सकती है कविता
क्यों कि बहुत कुछ हो सकती है कविता
ज़िन्दगी में

अगर हम जगह दें उसे
जैसे फलों को जगह देते हैं पेड़
जैसे तारों को जगह देती है रात

हम बचाये रख सकते हैं उसके लिए
अपने अन्दर कहीं
ऐसा एक कोना
जहाँ ज़मीन और आसमान
जहाँ आदमी और भगवान के बीच दूरी
कम से कम हो ।

वैसे कोई चाहे तो जी सकता है
एक नितान्त कवितारहित ज़िन्दगी
कर सकता है
कवितारहित प्रेम

कुँवर नारायण (1927-2017)

-


17 SEP 2020 AT 20:38

कहनी है तुमको बात तो ऐसी कहो जिसे
महफिल तमाम शौक से सुनती दिखाई दे

कुमार पंकज पांचाल 'ख़ार'

-


12 SEP 2020 AT 0:46

पुस्तकालय दिवस
(12 सितंबर)

हमारे बाद आने वाली पीढ़ियां भी जान पाए किताबों की खुशबू क्या होती है और क्या होता है किताबघर...........
एक उम्मीद

शुभकामनाएँ

-


Fetching Kumar Pankaj Panchal Quotes