Kumar Naveen   (NaraaZ Bhai)
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Joined 28 July 2024


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14 JUL AT 22:17

कहां लेकर जाऊंगा इतने ग़म,
शराब पीकर इन्हें बहा देता हूं मैं।

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28 JUN AT 11:54

एक दिन इस क़दर शराब छोडूंगा देखना,
कांच के गिलासों पर भी जंग लग जाएगा।

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4 JUN AT 22:54

आज मैने यूहीं गुज़ार दिया वो कल;
जिस कल की मैं बहुत फ़िक्र किया करता था।

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24 MAY AT 10:40

अब तो बस सर झुकाकर आगे बढ़ जाता हु मैं
ना कोई मन्नत मांगता हूँ ना कोई सवाल पूछता हूं।

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20 MAY AT 21:12

ये जो आज का आदमी है ना नाराज़,
ये अमीर बनना चाहता है अच्छा ओर नेक नहीं।

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15 MAY AT 21:28

मैं जो कह रहा हूं माना
आज बेमतलब है बहौत।

मगर ये भी सच है तेरे बाद मुझे
कभी मोहब्बत नहीं हुई। 💔

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10 MAY AT 22:40

जुबां से फ़िर पलट गया तू पाकिस्तान
देखे ले बहौत बुरा होगा इसका अंजाम। 🇮🇳🪖

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6 MAY AT 20:48

कुछ हाथ में रखा बीवी के जब मायके भेजा,
मां बाप की तबियत, बच्चों के खिलौने भी किए।

कमी ना हो कुटुंब में कहीं किसी को नाराज़,
बाप ने कई महीने एक बनियान में गुज़ार दिए।

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3 MAY AT 10:05

वो मेरे हाथों से ज़हर भी पीने को तैयार है...
और मैं नाराज़😞
हर उम्दा जिस्म की मिट्टी को जीना चाहता हूं।

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27 APR AT 17:13

सोचा नहीं था उन्होंने
जब जूतों की तसमे बांधी होंगी,
ज़हन में नहीं था आगे
मौत की आंधी होगी।

वो तो बस निकले थे
खुले आसमां मे जन्नत निहारने,
किसने सोचा था लाश होकर
बंद ताबूत मे वापसी होगी।

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