कहां लेकर जाऊंगा इतने ग़म,
शराब पीकर इन्हें बहा देता हूं मैं।-
शहर छोड़, अब गाँव आया हूँ।
लिखावट में ताप... read more
एक दिन इस क़दर शराब छोडूंगा देखना,
कांच के गिलासों पर भी जंग लग जाएगा।-
आज मैने यूहीं गुज़ार दिया वो कल;
जिस कल की मैं बहुत फ़िक्र किया करता था।-
अब तो बस सर झुकाकर आगे बढ़ जाता हु मैं
ना कोई मन्नत मांगता हूँ ना कोई सवाल पूछता हूं।-
ये जो आज का आदमी है ना नाराज़,
ये अमीर बनना चाहता है अच्छा ओर नेक नहीं।-
मैं जो कह रहा हूं माना
आज बेमतलब है बहौत।
मगर ये भी सच है तेरे बाद मुझे
कभी मोहब्बत नहीं हुई। 💔-
जुबां से फ़िर पलट गया तू पाकिस्तान
देखे ले बहौत बुरा होगा इसका अंजाम। 🇮🇳🪖-
कुछ हाथ में रखा बीवी के जब मायके भेजा,
मां बाप की तबियत, बच्चों के खिलौने भी किए।
कमी ना हो कुटुंब में कहीं किसी को नाराज़,
बाप ने कई महीने एक बनियान में गुज़ार दिए।-
वो मेरे हाथों से ज़हर भी पीने को तैयार है...
और मैं नाराज़😞
हर उम्दा जिस्म की मिट्टी को जीना चाहता हूं।
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सोचा नहीं था उन्होंने
जब जूतों की तसमे बांधी होंगी,
ज़हन में नहीं था आगे
मौत की आंधी होगी।
वो तो बस निकले थे
खुले आसमां मे जन्नत निहारने,
किसने सोचा था लाश होकर
बंद ताबूत मे वापसी होगी।
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