अभी जो बज़्म से उठकर गया है।
दिलों में वो उजाला भर गया है।
जो दरिया पे क़सीदे लिख रहा था,
सुना है कल वो प्यासा मर गया है।
(जमुना उपाध्याय )-
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें एवं बधाईयाँ
आप सदैव चिर युवा बने रहे।-
रूबरू होने की तो छोड़िये, गुफ्तगू से भी कतराने लगे हैं..
गुरूर ओढ़े हुए कुछ रिश्ते, अपनी हैसियत पर इतराने लगे हैं।।
(अज्ञात)-
हमें जीने का सम्मान मिला ।
कर सर ऊँचा हमें मान मिला।
रहे लोकतंत्र हरदम जिंदा,
हमें लिख ऐसा संविधान मिला।
हे! भूमि- पुत्र समता नायक,
तुमको प्रणाम हमारा है।।
हे!विधि शिल्प जन के गायक,
तुमको प्रणाम हमारा है।...-
हमें जीने का सम्मान मिला ।
कर सर ऊँचा हमें मान मिला।
रहे लोकतंत्र हरदम जिंदा,
हमें लिख ऐसा संविधान मिला।
हे! भूमि- पुत्र समता नायक,
तुमको प्रणाम हमारा है।।
हे!विधि शिल्प जन के गायक,
तुमको प्रणाम हमारा है।....-
मोहब्बत तर्क की मैं ने गरेबाँ सी लिया मैं ने।
ज़माने अब तो ख़ुश हो ज़हर ये भी पी लिया मैं ने।
अभी ज़िंदा हूँ लेकिन सोचता रहता हूँ ख़ल्वत में,
कि अब तक किस तमन्ना के सहारे जी लिया मैं ने।
उन्हें अपना नहीं सकता मगर इतना भी क्या कम है,
कि कुछ मुद्दत हसीं ख़्वाबों में खो कर जी लिया मैं ने।
बस अब तो दामन-ए-दिल छोड़ दो बेकार उम्मीदो,
बहुत दुख सह लिए मैं ने बहुत दिन जी लिया मैं ने।
#साहिर लुधियानवी-
बॉलीवुड के मशहूर गीतकार,शायर जावेद अख्तर आज अपना 77वां जन्मदिन मना रहे है। जावेद जी का जन्म 17जनवरी 1945 को हुआ था।उनका जन्म ग्वालियर में हुआ था।उनके पिता मशहूर शायर जाँ निसार अख्तर थे और उनकी मां सफिया, जावेद के पिता बॉलीवुड में गीतकार थे और उर्दू के कवि थे।उनके दादा मुझ्तर खैराबादी भी एक कवि थे
फिल्मो में पटकथा और फिर फ़िल्म 'सिलसिला से गीतकार के रूप में सिलसिला शुरू हुआ और चल रहा है , चलता रहेगा।
इस तरह सिलसिला के गीतकार के रूप में जावेद के व्यक्तित्व के एक नए आयाम से दुनिया का परिचय हुआ।
जावेद अख्तर ने बॉलीवुड एक्ट्रेस शबाना आजमी से दूसरी शादी की है।
उन्हें 5 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और 8 फिल्मफेयर अवार्ड बेस्ट लिरिक्स के लिए मिले हैं। जावेद अख्तर को पद्मश्री, पद्मभूषण और साहित्य अकैडमी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है।
जन्मदिन पर शुभकामनाएं।🙏🎂-
मकर संक्रांति, बिहू एवं पोंगल की हार्दिक शुभकामनाएं! ये त्योहार आपके जीवन में सुख -समृद्धि लाये। 🪁😊
🙏🙏-
"हर एक पेड़ से साये की आरजू न करो
जो धूप में नहीं रहते वो छाँव क्या देंगे"
(कृष्ण बिहारी नूर)
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ग़ज़ल
वो भी हमसे दिल से मिलते ।
गर हम उन्हें मुश्किल से मिलते।
सफ़र का जायजा फीका ही होता,
राह में गर अगर पत्थर न मिलते।
मिल के उसे दिल का बच्चा न रोता,
जो वो भी इतनी अदबी से मिलते।
-महेन्द्र 05.01.22
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