ट्रेन आती -
जाती रही....
यात्री चढ़ते-
उतरते गए....
मैं चलता गया....
इक रिक्शा मेरे
सामने से गुजरा
ओर आगे जाकर
इक धुंध में खोता गया
जैसे कोई चकोर से
उसके चाँदनी को
दूर ले जा रहा हो ।-
मैं रात-दिन
स्मरण करता हूँ
अपनी उन छोटी इच्छाओं का
जो पूरी हो गईं
धीरे-धीरे
जिन छोटी-छोटी इच्छाओं के चक्कर में
अपनी बड़ी इच्छाओं से किनारा किया
धिक्कार है मुझे
कि मेरी धरी की धरी रह गई
पहाड़ तोड़ने की इच्छा!
काग़ज़ की नाव बनाकर
मान लिया कि
पूरी कर ली
बड़ी-बड़ी लहरों से भरे समुद्र लांघने की इच्छा
कुछ कविता लिखकर
मैंने साध ली है
प्रतिरोध करने की इच्छा
धिक्कार है मुझे
मेरी छोटी इच्छाओं को
और उन्हें पूरा करने वालों को।❤️❤️-
घर रहेंगे, हमी उसमें रह न पाएंगे :
समय होगा, हम अचानक बीत जाएंगे :
अनर्गल जिंदगी ढोते किसी दिन हम
एक आशय तक पहुंच सहसा बहुत थक जाएंगे ।
मृत्यु होगी खड़ी सम्मुख राह रोके
हम जागेंगे, यह विविधता, स्वप्न, खो के
और चलते भीड़ के कंधे रगड़ कर हम
अचानक जा रहे होगे कहीं सदियों अलग हो के।
प्रकृति औ पाखंड के ये घने लिपटे
बँटे, ऐठे तार
जिनसे कहीं गहरा, कहीं सच्चा,
मैं समझता - प्यार...........!-
बंद डायरी मैं उसके मेरे नाम की कहानियां,
हर पन्ने में छूपी थी मोहब्बत की निशानियाँ,
पढ कर दिल मचल उठा मेरा,
पर खुद को रोक लिया मैंने,
कहीं हो ना जा उसकी बदनामिया।
खुशी-
यह नया हिन्दुस्तान है
नयी भारत की अगाज है
बनाना है नया इतिहास
बारह साल का इंतजार का
बदला लेना है तुझे
टूटे हर दिल का
बहे हर आँसुओं का।
रचना तुझे नया इतिहास है
ले आ तू 'वर्ल्ड कप'
यही हिन्दुस्तान की मांग है।
-
इतिहास में कईयों ने नाम बनाया
लेकिन वह कुछ खास कर दिखाया
नाम क्या लो उसका
जो खुद ही नाम कमाया-
मैं रावण हूँ।
मुझे बाहर नहीं,
अपने अन्दर खोजों
और उसे जलाओं,
तब राम जन्म लेगे।-
हर रोज़ हमें मिलना, हर रोज़ बिछड़ना है
मैं रात की परछाई, तू सुबह का चेहरा है
- मुसाफ़िर-