कोशिशें तमाम रख। ज़ेहन में मक़ाम रख। कोई साथ दे ना दे तेरा पर अपना..... पाक ईमान रख।
वो चिंगारियां ही सही, जिनसे दिखता हैं तू। वो अधूरी कोशिशें ही सही, जिनसे बंदा हैं तू। अभी साँसे चल रही हैं न तेरी? चल उठ खड़ा हो! अभी ज़िंदा हैं तू......
ये ज़िंदगी एक हैं मेरी मुझे ज़रा जीने तो दो नशा मुझे अभी हुआ नहीं इन खुलीं आँखों से पिने तो दो सुबह होते राहों को लौट जाऊँगा मैं इस रात मुझे इन ज़ुल्फों में सोने तो दो