ए दिल, इस ज़माने को मेरे इश्क का पैगाम लिखना । उसमें सबसे पहले मेरा नाम , फिर मेरी आशिकी का अंज़ाम लिखना वो ज़ान-ए-वफा की शाम लिखना दिल्ल़गी के नाकाम काम लिखना उनको आफ़ताब का चांद (और) मुझको ढ़लती शाम लिखना 'उनके साथ ही था मेरा जहान्' लिखना जहाँ न पहुँच सका मैं, वो मुकाम लिखना ए दिल याद रखना उनको बेग़म (और) मुझको उनकी मोहोब्बत का गुलाम लिखना इस ज़माने को मेरा इक पैगाम लिखना ।।
दास्तां इक प्यार की सुनाता हूँ मैं जिनके लिए जीता हूँ उन्हीं से ज़ी चुराता हूँ भाव कितने भी हों मेरे मन में उनके आते ही भावहीन हो जाता हूँ दास्तां इक प्यार की अलग सुनाता हूँ
जिंदगी के सफर में साथ चलने का फैसला हुआ था आप तो लहरों के साथ बह गए। 'मेरा इन्तजार करना' आप भला ऐसा क्यों कह गए! आपके इन्तजार में हम किनारे पे ही खड़े रह गए। हमेशा आपका भला ही चाहा तभी तो आपकी जुदाई का गम भी हम हंसते-हंसते सह गए ।।