Kumar Bhim  
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इन शब्दों में जिंदा रहना है, ज़िन्दगी के बाद भी.....
Joined 21 February 2020


इन शब्दों में जिंदा रहना है, ज़िन्दगी के बाद भी.....
Joined 21 February 2020
21 AUG 2021 AT 18:24

तुम ऐसे आओगे मालूम न था,
दिल को इतना भाओगे मालूम न था,
प्यार करना सिखाओगे मालूम न था,
रूठना - मनना ऐसे सिखाओगे मालूम न था।

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9 MAY 2021 AT 21:05

मेरे न कहने पर भी सुन लेती है
हाँ जी माँ ऐसी ही होती हैं।
हमारा पेट भर के खुद भूखे सो जती है,
हाँ जी माँ ऐसी ही होती हैं।
मेरे हँसने पर हँसती और रोने पर रोती है,
हाँ जी माँ ऐसी ही होती हैं।

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20 OCT 2020 AT 16:24

बस एक ही तम्मना है मेरी
हर तम्मना में 'तू' हो मेरी।

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28 JUL 2020 AT 5:20

इस महामारी में लोगों को मरते देखा,
कुछ को वीडियो बनाते तो,
कुछ को आश्वासन देते देखा।
एक औरत को तमासिन देखा
अपने पति को उठा न पाने
और उसके आँखों दर्द भरी आँशुओं को गिरते देखा।
अजीब महामारी है ये, अब सोच में
अपनो को अपनो से दूरी बनाते देखा।
जिंदा लाशों की मूर्तियां बनते देखा
किसी की माँ, किसी की बहन, तो बाप और भाई को बेबस रोते देखा।

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14 JUL 2020 AT 17:46

परिंदों के पर काट दिए जाते हैं,
हम इंसान है साहब जल्दी समझ नही आते हैं।

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14 JUN 2020 AT 19:58

इश्क़ के सफर में, मंज़िल का पता नहीं
कहीं इसका मुसाफ़िर, अकेला "दर्द" तो नहीं

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17 APR 2020 AT 14:29

समय रहते संभल जाओ
ये समय हमें सीखा रहा है,
उम्र बहुत बाकी है अभी
और दुनिया छोटी नही है।

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22 MAR 2020 AT 18:43

काश ये मीडिया उनका भी थाली बजाना दिखाते
जिनकी थाली आज सुना ही रह जाएगा।

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15 MAR 2020 AT 19:05

अपनो का क्या कहना,
पराये तो पराये होते हैं,
क्या कहे दर्द क्या होता है
दर्द तो वो जो अपने देते हैं।

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9 MAR 2020 AT 15:57

परिंदे के पर को कटते देखा,
हाँ, बचपन को आज गुब्बारे बेचते देखा।

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