रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
कुछ तो मिरे पिंदार-ए-मोहब्बत का भरम रख
तू भी तो कभी मुझ को मनाने के लिए आ
पहले से मरासिम न सही फिर भी कभी तो
रस्म-ओ-रह-ए-दुनिया ही निभाने के लिए आ
किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम
तू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ
इक 'उम्र से हूँ लज़्ज़त-ए-गिर्या से भी महरूम
ऐ राहत-ए-जाँ मुझ को रुलाने के लिए आ
अब तक दिल-ए-ख़ुश-फ़ह्म को तुझ से हैं उमीदें
ये आख़िरी शम'एँ भी बुझाने के लिए आ
अहमद फ़राज़
-
सामने उस के कभी उस की सताइश नहीं की
दिल ने चाहा भी अगर होंटों ने जुम्बिश नहीं की
अहल-ए-महफ़िल पे कब अहवाल खुला है अपना
मैं भी ख़ामोश रहा उस ने भी पुर्सिश नहीं की
जिस क़दर उस से त'अल्लुक़ था चला जाता है
उस का क्या रंज हो जिस की कभी ख़्वाहिश नहीं की
ये भी क्या कम है कि दोनों का भरम क़ाएम है
उस ने बख़्शिश नहीं की हम ने गुज़ारिश नहीं की
इक तो हम को अदब आदाब ने प्यासा रक्खा
उस पे महफ़िल में सुराही ने भी गर्दिश नहीं की
हम कि दुख ओढ़ के ख़ल्वत में पड़े रहते हैं
हम ने बाज़ार में ज़ख़्मों की नुमाइश नहीं की
ऐ मिरे अब्र-ए-करम देख ये वीराना-ए-जाँ
क्या किसी दश्त पे तू ने कभी बारिश नहीं की
कट मरे अपने क़बीले की हिफ़ाज़त के लिए
मक़्तल-ए-शहर में ठहरे रहे जुम्बिश नहीं की
वो हमें भूल गया हो तो अजब क्या है 'फ़राज़'
हम ने भी मेल-मुलाक़ात की कोशिश नहीं की
अहमद फ़राज़
-
हज़ारों गम हैं, खुलासा कौन करे मुस्कुरा देते हैं, तमाशा कौन करे मन और तन से बस ख़ुद को तैयार करना है क्या डरना गहराई से जब दरिया पार करना है।
फ़राज़ अहमद-
Inside my head there is a personality who is excellent. He is the epitome of dexterity in whatever he does. My biggest fear in life is , I will never be that person.
-
ज़िन्दगी भर बोहोत गलतिया की मैंने पर सजा वहा मिली जहा मै ईमानदार था।
-
जो मैं बौरा तो राम तोरा जो मैं बौरा तो राम तोरा
लोग मरम का जाने मोरा।
मैं बौरी मेरे राम भरतार ता कारण रचि करो स्यंगार। माला तिलक पहरि मन माना
लोगनि राम खिलौना जाना। थोड़ी भगति बहुत अहंकारा
ऐसे भगता मिलै अपारा। लोग कहें कबीर बौराना
कबीर का मरम राम जाना।
~ कबीर साहब-
The wise win before the fight, while the ignorant fight to win'
ZHUGE LIANG
बुद्धिमान लोग लड़ाई से पहले जीतते हैं, जबकि अज्ञानी लोग जीतने के लिए लड़ते हैं'
ज़ुगे लियांग-
जो मैं बौरा तो राम तोरा जो मैं बौरा तो राम तोरा
लोग मरम का जाने मोरा।
मैं बौरी मेरे राम भरतार ता कारण रचि करो स्यंगार। माला तिलक पहरि मन माना
लोगनि राम खिलौना जाना। थोड़ी भगति बहुत अहंकारा
ऐसे भगता मिलै अपारा। लोग कहें कबीर बौराना
कबीर का मरम राम जाना।
~ कबीर साहब-